
बिहार में सत्ता की जंग अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। इस बार मुकाबला नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन (एमजीबी) के बीच सीधा माना जा रहा है। हालांकि, जनसुराज दल के उम्मीदवारों ने भी मैदान में उतरकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। दो चरणों में संपन्न मतदान के बाद अब सबकी निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हैं, जब परिणाम घोषित किए जाएंगे।
मंगलवार को हुए दूसरे चरण के मतदान में शाम पांच बजे तक 67 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया। यह रुझान पहले चरण के रिकॉर्ड तोड़ 65 प्रतिशत मतदान से भी बेहतर रहा। दिलचस्प बात यह रही कि पहले चरण में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक संख्या में मतदान किया, जिससे यह साफ झलकता है कि महिलाएं इस बार सत्ता परिवर्तन या स्थायित्व को लेकर काफी सक्रिय हैं।
पहले चरण में 121 सीटों पर वोटिंग हुई थी, जबकि दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान संपन्न हुआ। अब जैसे ही दूसरे चरण की वोटिंग खत्म हुई, वैसे ही एग्जिट पोल के आंकड़े आने शुरू हो गए हैं, जिन्होंने सियासी माहौल को और गर्मा दिया है।
एग्जिट पोल के संकेत: एनडीए को बहुमत, महागठबंधन पिछड़ा
एबीपी न्यूज-आईएएनएस-मेट्राइज के एग्जिट पोल के मुताबिक, इस बार बिहार में फिर से एनडीए सरकार बनने के संकेत मिल रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, गठबंधन को 147 से 167 सीटों तक मिल सकती हैं। इनमें बीजेपी को 65-73, जेडीयू को 67-75, एलजेपीआर को 7-9, हम को 4-5, और आरएलएम को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान है।
वहीं, महागठबंधन के लिए स्थिति थोड़ी चुनौतीपूर्ण दिखाई दे रही है। उसे कुल 70 से 89 सीटों तक मिलने की संभावना जताई गई है। इनमें आरजेडी को 53-58, कांग्रेस को 10-12, वीआईपी को 1-4, जबकि वामपंथी दलों को 9-14 सीटें मिल सकती हैं।
दूसरे चरण की वोटिंग में दिग्गजों की किस्मत दांव पर
दूसरे चरण में कई मंत्री, विपक्षी नेता और निर्दलीय उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है। चुनाव आयोग ने बताया कि इस चरण में 3.70 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के पात्र थे। मतदान के अंतिम आंकड़े पहले चरण की तुलना में अधिक रहने की उम्मीद है, क्योंकि देर शाम तक कई मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें देखी गईं।
बिहार के किशनगंज जिले में इस बार सबसे ज्यादा 76.26% मतदान हुआ, जो अब तक का सर्वोच्च रिकॉर्ड है। इसके बाद कटिहार (75.23%), पूर्णिया (73.79%), सुपौल (70.69%) और अररिया (67.79%) का स्थान रहा। ये सभी जिले नेपाल की सीमा से सटे हुए हैं और राज्य के पूर्वोत्तर कोसी-सीमांचल क्षेत्र में आते हैं, जहां बाढ़ की समस्या और अल्पसंख्यक आबादी दोनों ही बड़ी भूमिका निभाते हैं।














