उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखीमपुर जिले के कुंभी में देश की पहली बायोपॉलिमर निर्माण इकाई का उद्घाटन किया। यह इकाई सिंगल-यूज प्लास्टिक का विकल्प तैयार करेगी। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य के सबसे बड़े चीनी उद्योग बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड (बीसीएमएल) के स्वामित्व वाला एकीकृत पॉलिमर प्लांट शुद्ध शून्य उत्सर्जन के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देगा।
उन्होंने कहा, "बायोपॉलिमर, एक बायोडिग्रेडेबल और टिकाऊ पॉलिमर है जो पैकेजिंग, बायोमेडिकल अनुप्रयोगों, खाद्य सेवा वेयर, वस्त्र और विभिन्न औद्योगिक उपयोगों में पर्यावरण अनुकूल विकल्पों की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।"
बायोपॉलिमर, खास तौर पर पॉलीलैक्टिक एसिड (पीएलए), चीनी, मक्का और टैपिओका जैसे कच्चे माल का इस्तेमाल करके बनाया जाएगा। इसका इस्तेमाल कप, प्लेट, कटलरी और स्ट्रॉ जैसी बायोडिग्रेडेबल दैनिक उपयोग की वस्तुओं के निर्माण में किया जाएगा, जिससे प्लास्टिक कचरे से होने वाली पर्यावरणीय चिंताओं को दूर किया जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर 21 लाख टन पी.एल.ए. का निर्माण किया जा रहा है। सिंह ने कहा, "राज्य और भारत के लिए बाजार हिस्सेदारी हासिल करने और प्लास्टिक के उपयोग को कम करके पी.एल.ए. उत्पादन में अग्रणी बनने का अवसर है।"
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका काफी हद तक सरकारी नीतियों और प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के मौजूदा आदेशों के क्रियान्वयन पर निर्भर करती है।
बीसीएमएल के केमिकल डिवीजन के अध्यक्ष स्टीफन बारोट ने बताया कि जब तक सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को मजबूत नहीं किया जाता, तब तक पीएलए उत्पादों को आर्थिक व्यवहार्यता बनाए रखने में संघर्ष करना पड़ेगा।
बारोट ने कहा, "पीएलए उद्योग के लिए एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए, सरकार को पहले से प्रतिबंधित सिंगल-यूज प्लास्टिक की 19 श्रेणियों को सख्ती से लागू करना चाहिए, जो अभी भी प्रचलित हैं।"
बरोट ने प्लास्टिक की खपत पर चिंताजनक आंकड़े साझा करते हुए बताया कि भारत में सालाना 3.5 लाख टन से अधिक प्लास्टिक कटलरी और 1 लाख टन प्लास्टिक स्ट्रॉ का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने पीएलए-आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सख्त प्रवर्तन की आवश्यकता पर जोर दिया।
2,880 करोड़ रुपये के निवेश वाली यह परियोजना अक्षय ऊर्जा पर चलने वाला पहला एकीकृत संयंत्र होगा और दिसंबर 2026 तक परिचालन शुरू होने की उम्मीद है। चीनी को पीएलए में बदलने की तकनीक में प्रगति इस प्रक्रिया को और अधिक किफायती बनाने में महत्वपूर्ण होगी।
बीसीएमएल की कार्यकारी निदेशक अवंतिका सरावगी ने कहा कि वर्तमान में एक किलोग्राम पीएलए के उत्पादन के लिए 1.6 किलोग्राम चीनी की आवश्यकता होती है, लेकिन प्रौद्योगिकी में सुधार से भविष्य में इसे घटाकर 1.2 किलोग्राम किया जा सकता है।
बीसीएमएल ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए दो यूरोपीय कंपनियों, ऑस्ट्रिया की अल्पाइन और स्विट्जरलैंड की सुल्जर के साथ साझेदारी की है। दिसंबर 2026 तक उत्पादन शुरू होने वाला है, जिसकी शुरुआती क्षमता 80,000 टन होगी। सरावगी ने कहा कि उत्पादन बढ़ने के बाद कंपनी अपनी क्षमता का और विस्तार करेगी।