दिल्ली में हाल ही में स्वास्थ्य से जुड़ी कैग रिपोर्ट पेश की गई, जिसके बाद सोमवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विधानसभा में इस पर चर्चा करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के कार्यकाल में हुए सभी "घोटालों" को उजागर किया जाएगा।
कैग रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ?
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने आम आदमी पार्टी पर कोविड-19 आपातकालीन फंड का संपूर्ण उपयोग न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संकट के समय दिल्लीवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। कैग रिपोर्ट के मुताबिक, 2016-22 के दौरान चार प्रमुख अस्पतालों—राजीव गांधी, एलएनजेपी, जनकपुरी स्पेशलिटी हॉस्पिटल और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय—के लिए आवंटित फंड का उपयोग नहीं किया गया, जिससे चिकित्सा सुविधाओं की स्थिति बदतर हो गई।
AAP सरकार पर गंभीर आरोप
स्वास्थ्य मंत्री ने दावा किया कि 2016-17 में 10,000 नए बेड जोड़ने का वादा किया गया था, लेकिन केवल 1,367 बेड ही उपलब्ध कराए गए। उन्होंने AAP सरकार पर निजी अस्पतालों के साथ मिलीभगत करने और उन पर कार्रवाई न करने का भी आरोप लगाया। साथ ही, उन्होंने कहा कि वित्तीय अनियमितताओं के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। मौजूदा सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को पारदर्शी और सुचारू बनाने के लिए अस्पताल इन्फो मैनेजमेंट सिस्टम (HIMS) लागू करने की योजना बनाई है, जिससे मरीजों को ऑनलाइन माध्यम से भी चिकित्सा संबंधी जानकारी मिल सकेगी।
दिल्ली के अस्पतालों में 21% कर्मचारियों की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल
स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कोविड-19 के दौरान जब लोग ऑक्सीजन के लिए जूझ रहे थे, तब सरकार अनावश्यक निर्माण कार्यों में व्यस्त थी। कैग रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग में 21% कर्मचारियों की कमी रही, जिससे मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
स्वास्थ्य सुविधाओं की अनदेखी
कैग रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के अस्पतालों में पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी थी, जिससे मरीजों की देखभाल प्रभावित हुई। कई अस्पतालों में एम्बुलेंस और जरूरी चिकित्सा उपकरण भी उपलब्ध नहीं थे। सरकार मरीजों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता तक सुनिश्चित नहीं कर पाई, जिससे अस्पतालों की अव्यवस्था उजागर हुई।
दवाइयों की खरीद में अनियमितता
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार की लापरवाही के चलते दवाइयों की खरीदारी पर भी ध्यान नहीं दिया गया। अस्पतालों में लोकल दुकानों से दवाइयां खरीदी गईं, जिससे वित्तीय नुकसान हुआ। 86 कॉन्ट्रैक्ट में से केवल 24 ही पास किए गए। इसके अलावा, ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से दवाई खरीदी गई, जिनमें एक्सपायर्ड दवाइयां भी शामिल थीं।
बुनियादी सुविधाओं की कमी
सरकार अस्पतालों में नए बेड की जरूरतों का आकलन भी नहीं कर पाई, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और ज्यादा बढ़ गई। मंत्री ने कहा कि इन गंभीर लापरवाहियों के लिए दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।