मणिपुर में लगा राष्ट्रपति शासन, 9 फरवरी को CM बीरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा

By: Shikha Thu, 13 Feb 2025 11:33:17

मणिपुर में लगा राष्ट्रपति शासन, 9 फरवरी को CM बीरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। इससे पहले, 9 फरवरी को राज्य के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। यह इस्तीफा राज्य में जारी जातीय हिंसा के लगभग दो साल बाद आया, जिसके चलते उनकी सरकार की लगातार आलोचना हो रही थी। बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

संविधान के अनुसार, किसी भी राज्य की विधानसभा की दो बैठकों के बीच अधिकतम छह महीने का अंतर हो सकता है। मणिपुर विधानसभा के संदर्भ में यह समय सीमा बुधवार को समाप्त हो गई थी। वहीं, राज्य में किसी भी पार्टी या गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया, जिसके चलते राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला लिया गया।

मणिपुर विधानसभा का सत्र 10 फरवरी से शुरू होने वाला था, लेकिन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद इसे स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया गया। यह फैसला ऐसे समय में आया जब कांग्रेस, विधानसभा सत्र में बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही थी। हालांकि, अब तमाम सियासी उठापटक पर विराम लग चुका है, और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है।

राष्ट्रपति शासन लागू होने का असर

किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद शासन व्यवस्था में बड़े बदलाव होते हैं। राज्य का प्रशासन पूरी तरह से राष्ट्रपति के नियंत्रण में आ जाता है। राष्ट्रपति अपने प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल को प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी सौंपते हैं, और राज्यपाल केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार शासन करते हैं।

राज्य के कानूनों पर क्या असर पड़ता है?

राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य की विधायी शक्तियां संसद के अधीन हो जाती हैं। सामान्य रूप से, राज्यों की विधानसभा कानून बनाती है, लेकिन राष्ट्रपति शासन की स्थिति में राज्य के कानून संसद द्वारा बनाए जाते हैं। यदि संसद सत्र में न हो, तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है। यह शासन अधिकतम 6 महीने तक लागू रहता है, लेकिन संसद की मंजूरी से इसे अधिकतम 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

किन परिस्थितियों में लागू होता है राष्ट्रपति शासन?

राष्ट्रपति शासन तब लागू किया जाता है जब राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों का पालन करने में असमर्थ हो। इसके अलावा, निम्नलिखित परिस्थितियों में भी इसे लागू किया जा सकता है:

कानून-व्यवस्था की विफलता –
यदि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ जाए।
अल्पमत की स्थिति – यदि सरकार बहुमत खो दे और स्थिर सरकार न बन पाए।
भ्रष्टाचार या विद्रोह – यदि व्यापक भ्रष्टाचार या विद्रोह जैसी स्थितियां उत्पन्न हो जाएं।
प्राकृतिक आपदा या अन्य आपातकालीन कारण – जब कोई आपदा या अन्य परिस्थितियां राज्य सरकार को प्रभावी रूप से कार्य करने से रोक दें।

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