देश की सड़कों पर अब आपको कारों के हॉर्न की कानफोड़ू आवाज़ की जगह ढोलक की थाप, बांसुरी की मधुर धुन और सितार के सुर सुनाई दे सकते हैं। कुछ समय पहले केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक ऐसी अनोखी योजना की बात कही थी, जिसमें कारों के हॉर्न को भारतीय संगीत वाद्य यंत्रों की धुनों से बदलने की बात कही गई थी। अब इस योजना को जल्द ही धरातल पर उतारा जा रहा है। इसके लिए एक नया कानून देश में लागू होने वाला है।
गडकरी ने हाल ही में फिर से इस योजना को लेकर अपनी मंशा जताई और कहा कि वे जल्द ही इस संबंध में एक विधेयक लाने वाले हैं। ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय एक ऐसे कानून पर काम कर रहा है, जो वाहनों के हॉर्न में भारतीय शास्त्रीय वाद्य यंत्रों जैसे तबला, बांसुरी, वायलिन, ढोलक और हारमोनियम की धुनों को शामिल करने की अनुमति देगा। इसका उद्देश्य है – सड़कों पर ध्वनि प्रदूषण को कम करना और लोगों को मधुर अनुभव देना।
नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया कि इस कानून के लागू होने के बाद देश की सड़कों पर हॉर्न का शोर अब किसी उत्सव की तरह प्रतीत होगा। हालांकि, विपक्षी दल कांग्रेस ने इस योजना को हल्के अंदाज़ में लेते हुए इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के माध्यम से इस पर कटाक्ष भी किया है।
वाहनों से प्रदूषण कम करना है सरकार का लक्ष्य
सिर्फ ध्वनि प्रदूषण ही नहीं, बल्कि गडकरी का अगला बड़ा लक्ष्य है – वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण में भारी कमी लाना। उनका कहना है कि देश में वायु प्रदूषण का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा वाहनों से निकलने वाले धुएं से होता है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि वैकल्पिक ईंधन और पर्यावरण हितैषी तकनीक अपनाई जाए।
गडकरी ने बताया कि सरकार लगातार ग्रीन व्हीकल्स और बायोफ्यूल आधारित वाहनों को बढ़ावा दे रही है। मेथेनॉल और एथेनॉल के प्रयोग को भी प्राथमिकता दी जा रही है। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सरकार ने सब्सिडी भी मुहैया कराई है, ताकि आम लोग भी पर्यावरण के प्रति अपनी भूमिका निभा सकें।
उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन चुका है। अमेरिका और चीन के बाद भारत अब वैश्विक स्तर पर बड़ी भूमिका निभा रहा है, और यह क्षेत्र देश के निर्यात में भी अहम योगदान दे रहा है।