
चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को समुद्र तट से अयस्क और रेत के अवैध खनन और बिक्री मामले की सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो ) आदेश दिया है। यह मामला तमिलनाडु के समुद्र तटों से इल्मेनाइट, रूटाइल, जिरकोन और मोनाजाइट जैसे खनिज संसाधनों के अवैध खनन और निर्यात से जुड़ा है। इससे राज्य को काफी वित्तीय नुकसान हुआ था। न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम और एम ज्योतिरामन की पीठ ने तमिलनाडु सरकार को चार सप्ताह के भीतर सभी जांच रिपोर्ट सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया। सीबीआई अवैध गतिविधियों में राजनीतिक नेताओं, सरकारी अधिकारियों और निजी कंपनियों की भूमिका की भी जांच करेगी।
जस्टिस एस.एम. सुब्रमण्यम और एम. ज्योतिरामन की पीठ ने कहा, "कुछ लोगों की छोटी-छोटी गलतियां कैंसर की तरह समाज को नष्ट कर सकती हैं। कोर्ट इसकी इजाजत नहीं दे सकता। अदालत तमिलनाडु सरकार द्वारा गगनदीप सिंह बेदी के नेतृत्व में गठित समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को पूरी तरह से स्वीकार करती है। अदालत द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, अदालत पूरी तरह से स्वीकार करती है कि निजी कंपनियों से 5,832 करोड़ रुपये वसूले जाने चाहिए। यह पता लगाने के लिए जांच की जानी चाहिए कि जब सरकार ने प्रतिबंध लगाया था तो अयस्क और रेत कैसे ले जाया गया और इससे जुड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।"
जब आशीष कुमार थूथुकुडी जिला कलेक्टर थे, तब उन्होंने तत्कालीन मुख्य सचिव से शिकायत की थी कि निजी कंपनियां बिना उचित अनुमति के समुद्र तट की रेत का अवैध रूप से उत्खनन कर रही हैं। उसके आधार पर तमिलनाडु सरकार ने 2013 में थूथुकुडी, तिरुनेलवेली और कन्याकुमारी जिलों में समुद्र तट की रेत से इल्मेनाइट, रूटाइल, जिरकोन, मोनाजाइट आदि सहित खनिज संसाधनों के अवैध खनन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के शासनकाल में आईएएस अधिकारी गगनदीप सिंह बेदी की अध्यक्षता वाली समिति ने रिपोर्ट दी थी कि रेत के अवैध खनन से सरकार को कई हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट स्वीकार करने के बाद तमिलनाडु सरकार ने पूरे राज्य में समुद्र तट से रेत निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
तंजावुर के विक्टर राजमणिकम ने 2015 में एक मामला दायर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि समुद्र तट की रेत के अवैध खनन के कारण सरकार को 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। निजी कंपनियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की थी। बाद में मद्रास उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले को अपने हाथ में ले लिया।
राशि वसूलने के निर्देश
इस बीच, 2017 में तमिलनाडु सरकार ने फिर से सत्यव्रत साहू आईएएस की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया। समिति ने सरकार को रिपोर्ट दी कि निजी गोदामों में 1.5 करोड़ टन रेत जमा की जा रही है। इसके बाद, पुनर्मूल्यांकन के लिए तमिलनाडु सरकार द्वारा गठित तीसरी समिति ने रिपोर्ट दी कि सरकार द्वारा खनिज संसाधनों के निष्कर्षण पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, निजी कंपनियों ने 2018 से 2021 तक विदेशों में लगभग 1.6 लाख टन खनिज संसाधनों का निर्यात किया था। मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त वी सुरेश ने रेत के अवैध खनन के कारण 5,832 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि यह राशि संबंधित निजी कंपनियों से वसूल की जाए।














