नई दिल्ली। इन दिनों जनहित याचिका (पीआईएल) के दुरुपयोग के बारे में बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने कहा कि जनहित याचिका कमजोर लोगों के हाथों में एक पुण्य हथियार थी, लेकिन अब यह अपनी पुण्य खो रही है।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने पूछा, "अगर मैं ऐसा कहूं, तो अब यह या तो पैसा हित याचिका है, प्रचार हित याचिका है या निजी हित याचिका है, लेकिन इन दिनों असली जनहित याचिका कहां है?"
न्यायमूर्ति नागरत्ना एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोल रही थीं, जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध कानूनी विद्वान प्रोफेसर उपेंद्र बक्सी की पुस्तक “लॉ, जस्टिस, सोसाइटी” का विमोचन किया। उन्होंने कहा, “वास्तविक जनहित याचिका और सामाजिक प्रभाव कानून की आवश्यकता है, और फिर अदालतें उसी तरह प्रतिक्रिया देंगी जैसे उन्होंने 1980 के दशक के अंत में की थी।”
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि प्रोफेसर बक्सी ने सही ही जनहित याचिका को 'सामाजिक प्रभाव कानून' कहा है और अब समय आ गया है कि वे जनहित याचिका के दुरुपयोग के बारे में लिखें।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि, "हमें न केवल महान निर्णयों की आवश्यकता है, बल्कि विद्वानों और शिक्षकों द्वारा उनकी आलोचना करने की भी आवश्यकता है।"