राहत की खबर! कोवीशील्ड की दोनों डोज लेने के बाद कोरोना होने की आशंका सिर्फ 7%, दुनिया की सबसे बड़ी स्टडी में आया सामने

By: Pinki Wed, 04 Aug 2021 10:14:04

राहत की खबर! कोवीशील्ड की दोनों डोज लेने के बाद कोरोना होने की आशंका सिर्फ 7%, दुनिया की सबसे बड़ी स्टडी में आया सामने

वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना हो गया ऐसी कई खबरें सामने आ रही है जो कि चिंता बढ़ा देती है लेकिन इस बीच हाल ही में हुई एक स्टडी (Study) ने इन खबरों से परेशान लोगों को राहत प्रदान की है। खासतौर पर एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) लगवाने वालों के लिए। दरअसल, देश के सशस्त्र बलों के 15.9 लाख से ज्यादा हेल्थ केयर वर्कर्स (HCW) और फ्रंटलाइन वर्कर्स (FLW) पर की गई एक स्टडी में सामने आया है कि कोवीशील्ड के दोनों डोज लेने के बाद होने वाला कोरोना यानी ब्रेक-थ्रू इन्फेक्शन 93% कम पाया गया है। यानी कोवीशील्ड लगवाने वालों में वैक्सीनेशन के बाद होने वाले ब्रेक-थ्रू इन्फेक्शन 93% कम होंगे।

ब्रेक-थ्रू इन्फेक्शन को लेकर देश में हुई अब तक की सबसे बड़ी स्टडी में सामने आया है कि देश में पूरी तरह वैक्सीनेटेड 1000 लोगों में 16 लोगों को दोबारा कोरोना हो सकता है। ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन की दर का अंदाज लगाने वाली यह स्टडी चंडीगढ़ पीजीआई ने की है और यह मशहूर द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (The New England journal) में पब्लिश हुई है। आपको बता दे, कोवीशील्ड, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के AZD-1222 फॉर्मूलेशन का मेड इन इंडिया वैरिएंट है। साथ ही यह भारत में चल रहे कोविड -19 वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन में इस्तेमाल हो रही प्रमुख वैक्सीन में से एक है।

नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने इस स्टडी के नतीजों का जिक्र करते हुए बताया कि ये अध्ययन 15 लाख से ज्यादा डॉक्टरों और फ्रंटलाइन वर्करों पर किया गया है। उन्होंने कहा, 'जिन्होंने कोवीशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई थी, उनमें 93% सुरक्षा देखी गई। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वैरिएंट का कहर देखा गया था, ये स्टडी उसी वक्त की गई है।'

भारत में वैक्सीनेशन की शुरुआत 16 जनवरी से हुई। जिसमें सबसे पहले आर्म्ड फोर्सेज के हेल्थकेयर वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगी थी। यह स्टडी 30 मई तक वैक्सीन लगवा चुके इन्हीं 15.9 लाख वर्कर पर हुए वैक्सीन की प्रभाव पर आधारित अंतरिम विश्लेषण है।

स्टडी में शामिल लोगों में से 95.4% लोग फुली वैक्सीनेटेड

इस स्टडी में 15,95,630 लोगों को शामिल किया गया था इसमें औसत आयु 27.6 साल थी जिसमें 99% पुरुष थे। 135 दिन से अधिक चली इस स्टडी में शामिल वॉलंटियर्स में से 30 मई तक 95.4% लोगों को सिंगल डोज और 82.2% लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी थी।

इस स्टडी में शामिल लोग टीकाकरण के चलते अनवैक्सीनेटेड (UV) से पार्शियली वैक्सीनेटेड (PV) और वहां से फुली वैक्सीनेटेड (FV) कैटेगरी में शिफ्ट होते रहे। इस तरह हर कैटेगरी में लोगों की संख्या रोज बदलती रही। अब चूंकि हर शख्स तीनों कैटेगरी यानी UV, PV और FV में अलग-अलग समय के लिए रहा, इसलिए रिसर्च के लिए जोखिम रहे लोगों की संख्या को नापने के लिए विशेष इकाई पर्सन-डे को अपनाया गया।

वैक्सीन की सिंगल डोज 82% और दोनों डोज 95% तक प्रभावी

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने तमिलनाडु के पुलिस विभाग, ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर द्वारा की गई एक स्टडी के रिजल्ट के बारे में बताया था कि वैक्सीन की सिंगल डोज 82% तक प्रभावी है और दोनों डोज लेने वालों में कोरोना के खिलाफ प्रभावशीलता 95% तक हो जाती है।

वैक्सीन के बाद भी कोविड प्रोटोकॉल का करें पालन

नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने कहा कि कोरोना के खिलाफ एक मात्र हथियार वैक्सीन ही वैक्सीनेशन ही संक्रमण को कम कर सकता है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वैक्सीनेशन संक्रमण से बचने की पूर्ण गारंटी नहीं है, वैक्सीन लेने के बाद भी पूर्ण रूप से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना बेहद जरुरी है। उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ कोई वैक्सीन पूर्ण गारंटी नहीं देती, लेकिन ये जरूर है कि वैक्सीन संक्रमण के गंभीर परिणामों से आपको बचाती जरूर है इसलिए वैक्सीन पर भरोसा करें और जल्द से जल्द इसे लगवाएं।

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