प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ का समापन अब बस एक दिन दूर है। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर कुंभ का अंतिम स्नान होगा। इस भव्य धार्मिक मेले में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे हैं। अब तक 63 करोड़ से अधिक भक्तों ने इस आयोजन में भाग लेकर पुण्य अर्जित किया है। हर दिन संगम तट पर अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं, लेकिन सोमवार को एक विशेष दृश्य सामने आया। महाराष्ट्र से आए कुछ श्रद्धालु स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद की तस्वीर लेकर कुंभ मेले में पहुंचे। महाराष्ट्र से आए इस समूह के सभी सदस्यों के हाथों में चंद्रशेखर आज़ाद की तस्वीर थी। उन्होंने बड़े उत्साह के साथ संगम में डुबकी लगाई और अपने साथ लाए चित्र को भी पवित्र जल से स्नान कराया। यह श्रद्धालु ‘जय हिंद अभियान’ संगठन से जुड़े हुए हैं। उनका मानना है कि यदि चंद्रशेखर आज़ाद आज जीवित होते, तो वे निश्चित रूप से महाकुंभ में स्नान करने आते। एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, ‘जय हिंद अभियान’ से जुड़े कुछ लोगों ने स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद की तस्वीर को संगम में पवित्र स्नान कराया। उनका मानना था कि भले ही आज़ाद अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति को इस ऐतिहासिक आयोजन में दर्ज कराना जरूरी है। इस अनोखे तरीके से उन्होंने अपने प्रिय स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
शहीद का दर्जा देने की मांग
इस संगठन से जुड़े लोगों ने सरकार से मांग की कि चंद्रशेखर आज़ाद को शहीद का आधिकारिक दर्जा दिया जाए। उनका कहना है कि आजाद ने देश की आज़ादी के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था, लेकिन अब तक उन्हें शहीद का सम्मान नहीं मिला है। इसके साथ ही, वे चाहते हैं कि उन्हें भारत रत्न और अन्य राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके संघर्ष और बलिदान को याद रख सकें।
महाकुंभ में गूंजे देशभक्ति के नारे
महाकुंभ के इस पावन अवसर पर इन देशभक्तों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद चंद्रशेखर आज़ाद अमर रहें’ जैसे नारों से संगम तट को गुंजायमान कर दिया। इस अनोखी पहल को देखकर वहां मौजूद श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए।
आध्यात्म और देशभक्ति का संगम
महाकुंभ में धार्मिक और आध्यात्मिक आस्था के साथ-साथ देशप्रेम का यह अनूठा दृश्य श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा बनकर सामने आया। यह पहल स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक विशेष योगदान मानी जा रही है।