बच्चों का मन करे तो वे दिनभर केवल खेलते-कूदते रहें। यह बात पैरेंट्स भली-भांति जानते हैं, इसलिए वे समय-समय पर बच्चों को पढ़ाई का महत्व भी याद दिलाते रहते हैं। बचपन में खेलना-कूदना स्वाभाविक भी है और बच्चों के शारीरिक तथा मानसिक विकास के लिए जरूरी भी। लेकिन पढ़ाई भी उतनी ही अहम है, और इसलिए बचपन से ही बच्चों में पढ़ाई की आदत डालना बेहद जरूरी हो जाता है। हालांकि समस्या तब खड़ी होती है जब बच्चे पढ़ने में रुचि नहीं दिखाते। इस स्थिति में अधिकतर पैरेंट्स गुस्से में आकर डांट-डपट कर या जबरदस्ती बच्चों को पढ़ाई के लिए बैठा देते हैं। लेकिन क्या यह तरीका सही है? एक्सपर्ट्स की मानें तो बच्चों को प्यार से समझाकर, पढ़ाई का महत्व बताकर पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। जबरदस्ती पढ़ाई करवाने से कई तरह के गंभीर नुकसान भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि क्यों बच्चों को धमकाकर पढ़ने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।
# पढ़ाई को बोझ समझने लगते हैं बच्चे
जब बच्चों को डर और दबाव के जरिए पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उनके मन में पढ़ाई को लेकर एक नेगेटिव भावना पैदा हो जाती है। वे पढ़ाई को बोझ समझने लगते हैं और स्वेच्छा से पढ़ने का भाव उनके भीतर विकसित नहीं हो पाता। हो सकता है बच्चा आपके सामने पढ़ने का दिखावा करे, लेकिन दिलचस्पी के अभाव में असल में वह कुछ भी नहीं सीख पाता। इसलिए ज़रूरी है कि बच्चे को पढ़ाई का महत्व इस तरह समझाया जाए कि वह दिल से पढ़ाई को अपनाए, न कि सिर्फ मजबूरी में।
# पढ़ाई के प्रति रुचि नहीं बन पाती
जब पढ़ाई जबरदस्ती थोप दी जाती है, तो बच्चों में उसका स्वाभाविक इंटरेस्ट नहीं पनप पाता। वे पढ़ते तो हैं लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए या अच्छे नंबर लाने के उद्देश्य से। ऐसे में वे विषयों को गहराई से समझने या नई चीजों को जानने के प्रति जिज्ञासु नहीं बन पाते, जिससे उनका ज्ञान अधूरा रह जाता है और सीखने की आदत कमजोर हो जाती है।
# बढ़ सकता है स्ट्रेस और एंग्जाइटी
बच्चों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव डालना उनकी मानसिक सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है। कई बार पैरेंट्स बच्चों से उनकी क्षमता से ज्यादा अपेक्षा करने लगते हैं, जिससे बच्चों में स्ट्रेस, एंग्जाइटी जैसे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जन्म ले सकती हैं। लंबे समय तक ऐसा दबाव रहने पर बच्चे बर्नआउट का भी शिकार हो सकते हैं, जो भविष्य में गंभीर मानसिक विकारों की वजह बन सकता है।
# बच्चों की क्रिएटिविटी पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव
जबरदस्ती पढ़ाई करवाने से बच्चों की रचनात्मकता भी प्रभावित हो सकती है। जब बच्चा पढ़ाई को सिर्फ एक अनचाहा काम मानकर पूरा करने की कोशिश करता है, तो वह न तो उसमें गहरी रुचि दिखाता है, न ही चीजों को समझने या विश्लेषण करने की आदत विकसित कर पाता है। इससे उसकी क्रिटिकल थिंकिंग कमजोर होती है और नयी चीजों के प्रति जिज्ञासा भी घट जाती है, जो उसकी समग्र विकास प्रक्रिया के लिए सही नहीं है।
# बच्चे और पैरेंट्स के रिश्ते पर भी पड़ सकता है असर
बच्चों पर बार-बार पढ़ाई का दबाव बनाना आपके और आपके बच्चे के रिश्ते को भी प्रभावित कर सकता है। लगातार फोर्स करने से बच्चों में गुस्सा, नाराजगी और शिकायत की भावना पनप सकती है। कई बार बच्चे पैरेंट्स से दूरी बनाने लगते हैं और छोटी उम्र में ही अपने माता-पिता को अपने विरोधी मानने लगते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि बच्चों पर अत्यधिक पढ़ाई का दबाव न डालें बल्कि पढ़ाई को उनके लिए एक मजेदार और उत्साहजनक गतिविधि बनाने का प्रयास करें।