'वनों की भूमि' के नाम से जाना जाता है झारखंड, जानें यहां के प्रसिद्द पर्यटन स्थल
By: Priyanka Maheshwari Sat, 18 May 2024 08:40:28
दुनिया में खूबसूरत जगहों की कोई कमी नहीं हैं जिसे देखने के लिए लोग विदेश यात्रा पर भी निकल जाते हैं। भारत भी पर्यटन के मामले में धनी देश है जिसकी खूबसूरती, संस्कृति, विरासत और इतिहास को जानने और निहारने के लिए हर साल कई विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। देश की इसी खूबसूरती में महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं झारखंड जिसे 'वनों की भूमि' के नाम से जाना जाता है। यहाँ की वनस्पति और जीव प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान हैं। आज इस कड़ी में हम आपको झारखंड की कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जो यहां का आकर्षण बनती हैं। इस बार अगर आप भी घूमने के लिए किसी जगह की तलाश में हैं तो झारखंड के इन जगहों की प्लानिंग करें।
वैद्यनाथ धाम
शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक वैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। यहां पर नंदन पहाड़, सत्संग आश्रनम और माता के शक्तिपीठों में से एक जय दुर्गा शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता सती का हृदय गिरा था, जिस कारण यह स्थान ‘हार्दपीठ’ से भी जाना जाता है। इसकी शक्ति है जयदुर्गा और शिव को वैद्यनाथ कहते हैं। बैद्यनाथ धाम में भगवान शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में नौवां ज्योतिर्लिंग है। यहां ज्योतिर्लिंग के साथ शक्तिपीठ भी है। यही कारण है कि इस स्थल को ‘हृदय पीठ’ या ‘हार्द पीठ’ भी कहा जाता है।
रांची
झारखंड राज्य के प्रमुख शहरो में रांची एक आकर्षित पर्यटन स्थल है और यह झारखंड राज्य की राजधानी भी हैं। झरनों के शहर के नाम से प्रसिद्ध रांची समुद्र तल से लगभग 700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं। बता दें कि रांची शहर को एक दफा बिहार राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने का गौरव हासिल हुआ हैं। रांची के प्रमुख आकर्षण में टैगोर हिल, हुदरू फॉल्स, रांची हिल स्टेशन, कांके डैम, हटिया संग्रहालय, जनजातीय अनुसंधान संस्थान आदि शामिल हैं।
शिखरजी
यह स्थान जैन धर्म के प्रमुख तीर्थों में से एक है। कहते हैं कि यहां पर पारसनाथ पहाड़ी पर 24 जैन तीर्थकरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसकी चोटी को शिखरजी कहते हैं। शिखरजी पर्यटन स्थल समुद्र तल से लगभग 1350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। यहां पर घूमने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते रहते हैं। चारों ओर हरियाली और ऊंचे पर्वतों को देखना अद्भुत है।
छिन्नमस्तिके मंदिर
झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 79 किलोमीटर की दूरी रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिके का यह मंदिर है। रजरप्पा की छिन्नमस्ता को 52 शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है। यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना बताया जाता है। इसके साथ ही बालूमाथ और औद्योगिक नगरी चंदवा के बीच एनएच-99 रांची मार्ग पर नगर नामक स्थान में एक अति प्राचीन मंदिर है जो भगवती उग्रतारा को समर्पित है। यह एक शक्तिपीठ है। मान्यता है कि यह मंदिर लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। मां भगवती उभ्रतादारा के दक्षिणी और पश्चिमी कोने पर स्थित चुटुबाग नामक पर्वत पर मां भ्रामरी देवी की गुफाएं हैं, जहां कई स्थानों पर बूंद-बूंद पानी टपकता रहता है। कहते हैं कि यहां करीब सत्तर फीट नीचे सतयुगी केले का वृक्ष है, जो वर्षों पुराना होने के बावजूद आज भी हराभरा है। इसमें फल भी लगता है।
देवघर
झारखंड राज्य के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में शामिल देवघर एक प्रमुख धार्मिक स्थान हैं जोकि भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक के लिए जाना जाता हैं। देवघर का मंदिर भगवान बैद्यनाथ के नाम से प्रसिद्ध हैं। देवघर बैद्यनाथ धाम की महिमा हिन्दू धर्म के चन्द्र कैलेंडर के अनुसार श्रवण मास में अधिक होती हैं। देवघर के प्रमुख आकर्षण में शामिल बैद्यनाथ धाम, नंदन पहाड़, सत्संग आश्रम आदि हैं।
लोध वॉटरफॉल
यह जलप्रपात 144 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता हैं जोकि रांची जिले के तैमारा गांव के निकट सुवर्ण रेखा नदी की सहायक नदी पर स्थित है। चट्टानी ढलानों के साथ दशम वॉटरफॉल एक शानदार डेस्टिनेशन हैं जहां बहुत अधिक संख्या में पर्यटक घूमने के लिए जाते हैं। लोध वॉटरफॉल झारखंड का सबसे ऊंचाई से गिरने वाला फॉल है जो बूढ़ा नदी पर स्थित है। यह लगभग 450 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरता है। यह लातेहार जिले में महुआडांड से 14 किलोमीटर दूर स्थित है।
जमशेदपुर
झारखंड में घूमने वाली जगहों में शामिल जमशेदपुर झारखंड का सबसे बड़ा और प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। इस आकर्षित शहर जमशेदपुर का नाम सन 1919 में जमशेदजी टाटा के नाम के आधार पर रखा गया था। जमशेदपुर सिटी में दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी इस्पात निर्माण कंपनी स्थित है। जमशेदपुर के प्रमुख आकर्षण में जुबली पार्क, दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और टाटा स्टील जूलोजिकल पार्क आदि हैं।
बेतला नेशनल पार्क
बाघों को सुरक्षित बचाकर रखने के लिए झारखंड के लातेहार जिला में बेतला राष्ट्रीय उद्यान का निर्माण करवाया गया। बेतला नेशनल पार्क 1974 में स्थापित भारत के पहले बाघ अभ्यारण्यों में से एक है। यह पार्क लगभग 18 से 20 किमी तक में फैला हुआ है जो कि सैलानियों को लंबे समय तक घूमने के लिए रोमांचित करता है। पर शाम होने पर अंधेरा काफी हो जाता है जिसके कारण अंधेरा होने से पहले ही सैलानियों को वापस बाहर ले आया जाता है। सैलानियों की सुविधा और सुरक्षा के दृष्टिकोण से विभागीय स्तर पर कई सहूलियतें प्रदान की जाती हैं। जिनमें उचित दरों पर गाड़ियों की उपलब्धता के साथ ही हाथियों के सवारी भी शामिल है।