डेंगू से डरने की कोई ज़रुरत नहीं, बस बचाव के लिए अपनाएं ये 13 घरेलू उपाय

By: Pinki Wed, 15 Sept 2021 3:31:43

डेंगू से डरने की कोई ज़रुरत नहीं, बस बचाव के लिए अपनाएं ये 13 घरेलू उपाय

डेंगू (Dengue) एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है। एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है। डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं। डेंगू फीवर को हड्डीतोड़ बुखार भी कहा जाता है क्योंकि इस बुखार में हड्डियों में असहनिय दर्द होता है। हडेंगू फीवर हल्का (Mild) या गंभीर (Severe) दोनों हो सकता है। ऐसे में इसके लक्षण भी अलग-अलग नजर आते हैं। खासतौर से बच्चों और किशोरों में माइल्ड डेंगू होने पर कई बार कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। संक्रमित होने के बाद डेंगू के हल्के लक्षण चार से सात दिनों के अंदर नजर आने लगते हैं। इन लक्षणों में तेज बुखार (104° F) के अलावा नीचे दिए गए लक्षण भी शामिल हैं :

- सिरदर्द
- मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द
- उल्टी
- जी मिचलाना
- आंखों में दर्द होना
- त्वचा पर लाल चकत्ते होना
- ग्लैंड्स में सूजन होना

डेंगू के लिए कोई खास दवा या सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर बुखार, दर्द को नियंत्रित करने के लिए पेनकिलर जैसे पारासिटामोल दवा खाने के लिए दे सकता है। शरीर को हाइड्रेटेड रखकर डेंगू को कंट्रोल में रखना एक सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। कुछ घरेलू उपाय भी है जो आपको डेंगू फीवर से बचने में मदद कर सकते हैं -

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नारियल पानी

नारियल पानी पीते रहने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है। डेंगू के बुखार से राहत पाने के लिए नारियल पानी खूब पिएं। इसमें मौजूद जरूरी पोषक तत्व जैसे मिनरल्स और एलेक्‍ट्रोलाइट्स शरीर को मजबूत बनाने में मदद करता है। कोलेस्ट्रॉल और फैट-फ्री होने की वजह से ये दिल के लिए भी नारियल पानी पीना फायदेमंद रहता है। इसके साथ ही इसका एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भी सर्कुलेशन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने के लिए भी नारियल पानी का प्रयोग किया जाता है। इसमें मौजूद cytokinins कोशिकाओं और ऊतकों पर सकारात्मक प्रभाव डालकर बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।

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विटामिन सी

खाने में जितना हो सके विटामिन सी से युक्त पदार्थों का सेवन करें। विटामिन-सी आपको स्वस्थ रखने के साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा यह किसी भी प्रकार के संक्रमण को फैलने से भी रोकता है। 19 से 64 वर्ष की आयु के वयस्कों को प्रतिदिन लगभग 40 मिलीग्राम विटामिन सी लेने की सलाह दी जाती है।

- 100 ग्राम संतरे में 52 ग्राम विटामिन सी होता है।
- 100 ग्राम स्ट्रॉबेरी में 57 ग्राम विटामिन सी होता है।
- 100 ग्राम ब्लैक करंट में 126 ग्राम विटामिन सी होता है।
- 100 ग्राम ब्रोकली में 60 ग्राम विटामिन सी होता है।
- 100 ग्राम ब्रसल्‍स स्‍प्राउट में 60 ग्राम विटामिन सी होता है।

एक गाइड के रूप में, एक बड़ा संतरा आपके लिए आवश्‍यक दैनिक विटामिन सी की मात्रा की पूर्ति कर देगा। बहुत अधिक विटामिन सी (एक दिन में 1000 मिग्रा से ज्यादा) के कई सारे साइड इफेक्ट जैसे - पेट में दर्द, पेट फूलना या डायरिया भी हो सकते हैं।

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हल्दी

हल्दी का प्रयोग आमतौर पर खून के रिसाव को रोकने या चोट को ठीक करने के लिए किया जाता है। कई बार हाथ-पैरों में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए भी हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल किया जाता है। हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत कर बीमारियों से आपकी रक्षा करते हैं। आयुर्वेद में हल्दी को रक्त शोधन में महत्वपूर्ण बताया गया है। हल्दी के सेवन से रक्त शोधित होता रहता है। इसे खाने से रक्त में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं और इससे ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है। पतला होने के बाद रक्त का धमनियों में प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे व्यक्ति को हृदय संबंधी परेशानियां नहीं होती।

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तुलसी और शहद

तुलसी और शहद का प्रयोग करने से भी डेंगू से बचाव किया जा सकता है। इसके लिए तुलसी को पानी में उबालकर, इसमें शहद डालकर पिया जा सकता है। इसके अलावा आप काढ़ा या चाय में तुलसी का प्रयोग कर सकते हैं। तुलसी में फ्लैवोनोइड्स और फेनोलिक शामिल होते हैं जो कि मानव के शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारते हैं। तुलसी एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है जो कि शरीर में फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाती है। अगर आप इसकी पत्तियां चबाते हैं या फिर इससे हर्बल-टी बनाकर पीते हैं तो उससे शरीर को लाभ होता है। अगर किसी भी इंसान का इम्युनिटी सिस्टम स्ट्रॉन्ग है तो उसे बीमारियां कम लगती हैं और वह उनका मुकाबला कर लेता है।

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पपीते के पत्ते

पपीते के पत्ते में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन डी और विटामिन ई के साथ-साथ एंटी-ऑक्सीडेंट्स, फ्लेवोनोइड्स, कैरोटीन जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई समस्याओं से दूर रखने में मदद करते हैं। डेंगू के इलाज में पपीते की पत्त‍ियां बेहतर इलाज के रूप में जानी जाती हैं। पपीते के पत्ते का रस निकालकर दिन में दो बार लगभग 2-3 चम्मच की मात्रा में लेने से डेंगू से बचाव किया जा सकता है। इसमें प्रोटीन से भरपूर पपेन नामक एंजाइम पाया जाता है, जो पाचन शक्ति को ठीक करता है इसके अलावा लाल रक्त कणों में भी वृद्धि करता है।

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अनार

डेंगू बुखार में शरीर में होने वाली रक्त की कमी और कमजोरी को दूर करने के लिए, अनार का सेवन फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद विटामिन ई, सी, ए और फोलिक एसिड और एंटी ऑक्सीडेंट बेहद लाभप्रद साबित होते हैं। यह लाल रक्त कणों के निर्माण में भी महत्वूर्ण भूमिका निभाता है, जो खून की कमी को पूरा करने में सहायक है। 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग लें। दोनों को एक गिलास पानी में उबालें। फिर पानी आधा रह जाए तो दिन में तीन बार लें। इससे दस्त तथा पेचिश में आराम होता है।

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मेथी

मेथी हर घर में बड़ी आसानी से मिलने वाला मसाला है जिसका इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। मेथी को मामूली मसाला नहीं है बल्कि औषधीय गुणों और ढेर सारे न्यूट्रिएंट्स से भी भरपूर होती है। डायबीटीज कंट्रोल कर ना हो, पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर करनी हो, कलेस्ट्रॉल की दिक्कत ठीक करनी हो या फिर वेट लॉस करना हो।।।। मेथी की खूबियां इन सारी चीजों में आपकी मदद कर सकती हैं।

मेथी की हरी पत्तियों का सेवन डेंगू से बचाव में मददगार होते हैं। इसके प्रयोग से शरीर से सभी हानिकारक और विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इसके अलावा शारीरिक दर्द और अनिद्रा की समस्या में भी यह लाभकारी होती है। इसकी सब्जी या इसे पानी में उबालकर प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा मेथीदाने का प्रयोग भी किया जा सकता है।

मेथी का पानी बनाने का तरीका

- एक बड़ा बाउल लें और उसमें पानी डालें और दो चम्मच मेथी दाने को उस पानी में डालकर रात भर भिगोने के लिए रख दें। सुबह उठकर पानी को छान लें और खाली पेट सबसे पहले इस पानी का सेवन करें।

- एक चम्मच मेथी दाने को पैन में बिना तेल के हल्का सा फ्राई कर लें और फिर ब्लेंडर में डालकर उसका पाउडर बना लें। एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच मेथी का पाउडर डालें, मिक्स करें और हर सुबह खाली पेट इस पानी को पिएं।

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गि‍लोय

कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के बाद से लोगों ने अधिक से अधिक आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इसे इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गिलोय शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है, ब्लड को शुद्ध करता है और बैक्टीरिया से लड़ता है। यह लिवर की बीमारी वाले लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। यह डेंगू, स्वाइन फ्लू और मलेरिया जैसी जानलेवा बुखार के लक्षणों को कम करता है। तुलसी के साथ इसका काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है। इसके अलावा गिलोय का जूस या इसकी गोलियां खाना भी फायदेमंद हो सकता है। दि‍न में दो से तीन बार किसी भी रूप में गिलोय का प्रयोग करना, डेंगू से बचने के लिए रामबाण उपाय है।

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बकरी का दूध

जी हां, डेंगू बुखार होने पर बकरी के दूध का सेवन बेहद फायदेमंद होता है। यह दूध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे शरीर को कोई बीमारी अटैक नहीं कर पाती है। यह एलर्जी के लिए भी फायदेमंद है। डेंगू बुखार में बकरी का कच्चा दूध दिन में दो से तीन बार थोड़ी मात्रा में पीने लाभ होता है। बकरी का दूध ज्यादा सफेद होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें विटामिन ए की मात्रा ज्यादा होती है। विटामिन ए प्रतिरक्षा और एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करता है। कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। बकरी का दूध पीने से कैल्शियम की कमी पूरी होती है, और इससे हड्डियां मजबूत होती हैं।

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जवारे का रस

गेहूं के जवारे न्यूट्रीएंट्स का परमाणु बम माना गया है क्योंकि इसमें ऐसे तत्व हैं जो किसी भी तरह की बीमारी को ठीक करने का दम रखते हैं। जवारे यानि गेहूं की घास का रस पीने से भी रक्त में प्लेटलेट्स का निर्माण तेजी से होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। प्रतिदिन दो बार इसका प्रयोग करने से डेंगू का खतरा कम होता है। इसके अलावा गेहूं के जवारे का रस सुपर डाइजेस्टबल होता है। ये पेट से जुड़ी किसी भी तरह की समस्याओं को दूर करने में इफेक्टिव होता है। इसके एंजाइम, अमीनो एसिड और विटामिन बी डाइजेशन से जुड़ी हर समस्या को खत्म करने में कारगर होते हैं। यही कारण है कि ये अल्सर, इरिटेबल इंटेस्टाइन सिंड्रोम में भी संजीवनी बूटी का काम करता है। गेहूं के जवारे में कैंसर तक से बचाने का गुण होता है। ये ब्लड में ऑक्सिटोसिन की मात्रा को बैलेंस करता है। साथ ही ये एंटी ऑक्सिडेंट से भरा होता है जो कैंसर कोशिकाओं को पनपने से रोकता है।

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सूप

सामान्य भोजन के अलावा सूप का प्रयोग भी जरूर करें। यह आपके स्वाद को बरकरार रखेगा और भूख न लगने की शि‍कायत दूर करेगा। इसके अलावा दलिया का प्रयोग करना भी बेहतर होगा, यह आपको उर्जा देने के साथ ही पाचन को दुरूस्त करेगा।

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हर्बल चाय

हर्बल चाय का प्रयोग करने से शरीर के हानिकारक तत्व बाहर निकल जाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है। दिन में दो से तीन बार हर्बल टी का प्रयोग जरूर करें।

हर्बल चाय बनाने की तरीका

आवश्यक सामग्री


1 इंच कद्दूकस की हुई अदरक
1 छोटी दालचीनी स्टिक
आधा चम्मच तुलसी के पत्ते
1 चम्मच अजवाइन
3 पिपरकॉर्न
2 कुचली हुई हरी इलायची
एक चौथाई चम्मच सौंफ

विधि


सभी सामग्रियों को एक गहरे पैन में डालें और इसमें एक गिलास पानी डालें। सभी सामग्री को 10 मिनट के लिए उबलने दें और फिर एक कप में चाय को छान लें। स्वाद को बेहतर बनाने के लिए आप अपनी चाय में कच्चा, जैविक शहद या गुड़ मिला सकते हैं।

अगर आप हर सुबह कॉफी पीने के शौकीन हैं, तो इससे परहेज करें। कॉफी की बजाय रोजाना सुबह हर्बल चाय पीने से इम्युनिटी बढ़ती है और फेफड़े साफ रहते हैं। आपको यह चाय दिन में कई बार पीने की जरूरत नहीं है। सुबह एक बार इस चाय का सेवन पर्याप्त है। इससे आपको भरपूर फायदा मिलेगा।

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गोल्डनसील

यह नार्थ अमेरिका में पाई जाने वाली एक हर्ब है, जिसे दवाई बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस हर्ब में डेंगू बुखार को बहुत तेजी से खत्म कर शरीर में से डेंगू के वायरस को खत्म करने की क्षमता होती है। यह पपीते की पत्तियों की तरह ही काम करती हैं और उन्हीं की तरह इन्हें भी यूज किया जाता है। इन्हें कूट के सीधे चबाकर या फिर जूस पीकर लाभ उठाया जा सकता है।

मच्छरों को पनपने ना दे

इसके अलावा मच्छरों से जितना हो सके बचाव करना डेंगू से बचने का प्रमुख उपाय है। मच्छरों से बचने के लिए हर संभव सावधानी बरतें और पानी का जमाव न होने दें, क्योंकि इसमें मच्छरों के पनपने की संभावना अधिक होती है। डेंगू के लक्षण सामने आने पर या किसी भी प्रकार की अन्य समस्या होने पर दवा लेने से पूर्व डॉक्टरी परामर्श अवश्य लें।

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जब कोई डेंगू वायरस से संक्रमित मच्छर हमें काटता है, तो वायरस रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है। प्रवेश करते ही यह प्लेटलेट्स को एक तरह से बांधने लगता है और फिर वायरस पूरे शरीर में प्रसारित होने लगता है। संक्रमित प्लेटलेट कोशिकाएं सामान्य प्लेटलेट्स को नष्ट कर देती हैं जो डेंगू बुखार में प्लेटलेट काउंट में गिरावट के प्रमुख कारणों में से एक है।

प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के घरेलू उपाय

गिलोय का काढ़ा


डेंगू बुखार में प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए गिलोय एक बेहतरीन औषधि है। गिलोय का काढ़ा पीकर प्लेटलेट बढ़ाया जा सकता है। यह दवा से भी ज्यादा तेज रिकवर करता है।

पपीते के पत्ते का रस

पपीते के पत्तों का जूस भी डेंगू वायरस से लड़ने में मदद करता है। अगर आपके घर में कोई डेंगू बुखार से पीड़ित है तो उसे पपीते के पत्ते का रस जरूर दें।

एलोवेरा का रस


एलोवेरा भी एक औषधि है। यह डेंगू वायरस से लड़ता है। डेंगू में एलोवेरा को घर में पीसकर उसका रस पीने से प्लेटलेट काउंट बढ़ जाता है।

बकरी का दूध


बकरी के दूध में कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो डेंगू के खिलाफ काम करते हैं! डेंगू में बकरी का दूध फायदेमंद है।

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