दीवाली विशेष : अंगद ने जिताया था श्री राम को युद्ध, जाने कैसे
By: Priyanka Maheshwari Mon, 16 Oct 2017 12:15:01
अंगद रामायण का एक पात्र, पंचकन्या में से एक तारा तथा किष्किंधा के राजा बाली का पुत्र और सुग्रीव का भतीजा, रावण की लंका को ध्वस्त करने वाली राम सेना का एक प्रमुख योद्धा था। बाली की मृत्यु के उपरांत सुग्रीव किष्किंधा का राजा और अंगद युवराज बना। अंगद अपने दूत-कर्म के कारण बहुत प्रसिद्ध हुए। राम ने उसे रावण के पास दूत बनाकर भेजा था। वहां की राजसभा का कोइ भी योद्धा उनका पैर तक नहीं डिगा सका।
प्रभु राम के हाथों अपने पिता की मृत्य के पश्चात भी महाबली पुत्र अंगद ने सत्य एवं धर्म का रास्ता कभी नहीं छोड़ा इसी वजह से उन्होंने भी माता सीता को छुड़ाने में प्रभु राम की हर संभव मदद की परन्तु क्या आपको पता है कि अंगद के ही प्रयास से काफी हद तक राम की लंकेश के ऊपर जीत सुनिश्चित हो पाई | बात तब की है जब प्रभु राम एवं उनकी वानर सेना के हाथों एक-एक कर रावण के सारे दिग्गज सुरमा मारे जा रहे थे। भाई कुम्भकरण, पुत्र मेघनाथ जैसे परम बलशाली को खो रावण को शायद ये लगने लगा था कि अब काल काफी करीब है। ऐसे में अपने आराध्य को खुश कर उनसे शक्तियां ले राम को हराने हेतु रावण ने एक यज्ञ का आयोजन किया। जानकारों के मुताबिक यदि रावण उस यज्ञ में सफल हो जाते तो शायद उनको हरा पाना असंभव हो जाता।
ऐसे में मौके की नजाकत को समझते हुए प्रभु राम ने महाबली बाली पुत्र अंगद को रावण के यज्ञ में विघ्न डालने की बात कही। प्रभु राम के आदेश पर अंगद अपने साथ कुछ वानरों को ले निकल पड़े लंकेश के यज्ञ में विघ्न डालने। उन्होंने हरसंभव कोशिश की ताकि रावण के यज्ञ में बाधा डाली जा सके परन्तु अपने आसन में तल्लीन रावण का ध्यान इन सब पर नहीं गया। अंत में अंगद ने रावण की पत्नी मंदोदरी के बालों को खिंच रावण के सामने ही उनका अपमान करने की कोशिश की। अंगद के इरादों को भापते हुए रावण ने तब भी अपने यज्ञ से नहीं उठने का प्रण किया।
अंत में भावुक हो रावण को न चाहते हुए भी अपने यज्ञ से उठना पड़ा जिसकी वजह से उनका यज्ञ अधूरा ही रह गया। रावण को उठते देख अंगद एवं वानर सेना तो भाग खड़े हुए परन्तु उनका काम सफल रहा। और इस तरह अपने अंतिम यज्ञ से रावण को रोक अंगद ने काफी हद तक राम की जीत एवं रावण की मौत सुनिश्चित की।