धारा 377: गूगल इंडिया ने होमपेज पर इंद्रधनुषी झंडा लगाया, एफबी ने भी बदली डीपी

By: Priyanka Maheshwari Fri, 07 Sept 2018 08:13:22

धारा 377: गूगल इंडिया ने होमपेज पर इंद्रधनुषी झंडा लगाया, एफबी ने भी बदली डीपी

सहमति के आधार पर बनाए जाने वाले समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर करने के सुप्रीम के फैसले के बाद एलबीजीटी समुदाय में जबरदस्त उत्साह और खुशी है। कोर्ट ने कहा कि LGBTQ समुदाय को भी समान अधिकार है और पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने IPC की धारा 377 को मनमाना और अतार्किक बताते हुए निरस्त किया है। संविधान पीठ ने कहा कि सभी जजों की एक राय है। उन्‍होंने कहा कि समाज का व्‍यक्तियों से अलग नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि समलैंगिकता संबंध अपराध नहीं है। अपना फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा, कोई भी अपने व्यक्तित्व से बच नहीं सकता है। समाज में हर किसी को जीने का अधिकार है। कोर्ट के इस फैसले का एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी स्वागत किया है। तकरीबन हर बड़े मंच पर इस फैसले का समर्थन किया जा रहा है। गूगल और फेसबुक ने भी इस फैसले को अपने अंदाज में सेलीब्रेट किया है।

गूगल इंडिया ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद बृहस्पतिवार को अपने होमपेज पर इंद्रधनुषी झंडा लगाया। विभिन्न मौकों पर डूडल लगाने के लिए प्रसिद्ध दिग्गज इंटरनेट कंपनी ने अपने वेबपेज के सर्चबार के नीचे सात रंगों का झंडा लगाया। माउस का कर्सर झंडे पर ले जाने पर एक पॉपअप संदेश आता है ‘सेलेब्रेटिंग इक्वल राइट्स।’

इसी तरह, फेसबुक ने भी अपना डीपी बदल लिया है और उसकी जगह कई रंगों का आइकन लगाया है। इंद्रधनुषी झंडे को लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) समुदाय के गौरव और सामाजिक आंदोलनों से जोड़कर देखा जाता है।

समलैंगिकता अपराध नहीं

अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा कि LGBT (लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर) को भी बाकी नागरिकों की तरह अधिकार हैं। दो बालिगों की सहमति से अप्राकृतिक संबंध जायज है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आम राय से कहा, 377 अतार्किक और मनमानी धारा है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आम राय से कहा, अंतरंगता और निजता निजी पसंद है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुरानी सोच को बदलने की जरूरत है। से चीजें नहीं चल सकती, हमें पुरानी धारणाओं को बदलना होगा। तय करेगी कि दो बालिगों के एकांत में सहमति से बनाए गए संबंध अपराध की श्रेणी में आएंगे कि नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि एलजीबीटी समुदाय को हर वो अधिकार प्राप्त है जो देश के किसी आम नागरिक को मिले हैं। हमें एक दूसरे के अधिकारों का आदर करना चाहिए।

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