भगवान शिव और 33 करोड़ देवताओं का निवास स्थान है पाताल भुवनेश्वर गुफा

By: Priyanka Maheshwari Fri, 27 Apr 2018 4:27:12

भगवान शिव और 33 करोड़ देवताओं का निवास स्थान है पाताल भुवनेश्वर गुफा

पाताल भुवनेश्वर पिथौरागढ़ जनपद उत्तराखंड राज्य का प्रमुख पर्यटक केन्द्र है। यहां देवदार के घने जंगलों के बीच यहां पर अनेक भूमिगत गुफ़ाओं का संग्रह है जिसमें से एक बड़ी गुफ़ा के अंदर शंकर जी का मंदिर स्थापित है। यह संपूर्ण परिसर 2007 से भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा अपने कब्जे में लिया गया है। यह भुवनेश्वर गांव में स्थित है। हालांकि गुफ़ाओं के अन्दर प्रवेश आदि का कार्य अब भी स्थानीय स्तर पर बनी मंदिर कमेटी द्वारा किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह भूमिगत गुफा भगवान शिव और तैतीस कोटी देवताओं (हिंदू संस्कृति में 33 करोड़ प्रकार के देवताओं) का निवास स्थान है। गुफा की लम्बाई लगभग 160 मीटर और गहराई 90 फीट है। इसके बाद भी गुफा में आॅक्सीजन की कोई कमी नहीं है। पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर समुद्र तल से 1350 मीटर की ऊंचाई पर है। चूना पत्थर के चट्टानों के निर्माण ने विभिन्न रंगों और रूपों के विभिन्न शानदार स्टैलेक्टसाइट और स्टालाग्माइट आकृतिया बनी हुई हैं। इस का रास्ता संकीर्ण सुरंग की तरह है जो अन्दर कई गुफाओं की ओर जाता है।

इस गुफा में एक संकीर्ण सुरंग की तरह खुलने वाला है जो कई गुफाओं की ओर जाता है। गुफा पूरी तरह से विद्युत् रूप से प्रकाशित है। पानी के प्रवाह से निर्मित, पाताल भुवनेश्वर गुफाओं के भीतर गुफाओं की एक श्रृंखला है। ऐसा कहा जाता है कि पाताल भुवनेश्वर में दर्शन करने से काशी, बैद्यनाथ या केदारनाथ में तपस्या के हजार गुना फल मिलता है। स्कंद पुराण में, मानस कंद, अध्याय 103, पाताल भुवनेश्वर जाने में आशीर्वाद प्राप्त करने का विवरण है।

ऐसा माना जाता है कि पाताल भुवनेश्वर में पूजा करने से चा धाम की यात्रा के बराबर पुन्य मिलता है। जो व्यक्ति शाश्वत शक्ति की उपस्थिति महसूस करना चाहता है वह रामगंगा, सरयू और गुप्त-गंगा के संगम के निकट स्थित पवित्र भुवनेश्वर में आना चाहिए। मानसखंड, स्कंदापुराण, जिनके 800 छंद पाताल भुवनेश्वर का उल्लेख करते हैं। इस गुफा को खोजने वाला पहला इंसान राजा ऋतुपुर्ण था जो सूर्य वंश में राजा था जो ‘त्रैता युग’ के दौरान अयोध्या पर शासन करते थे। जिसका उल्लेख मानसखंड और स्कंद पुराण में किया गया है।

1191 ई. में आदि शंकराचार्य ने इस गुफा को दोबारा खोजा। यह पाताल भुवनेश्वर में आधुनिक तीर्थ इतिहास की शुरुआत थी। गुफा के अन्दर शेषनाग के पत्थर के निर्माण को देखा जा सकता है। गुफा में हवन कुंड, केदारनाथ, बद्रीनाथ, माता भुवनेश्वरी, आदि गणेश, भगवान शिव की जटायें, सात कुंड, मुक्ति द्वार, धर्म द्वार व अन्य देवी देवाताओं के आकृतियों को देखा जा सकता है।

पाताल भुवनेश्वर निवासी मेजर समीर कोतवाल 28 अगस्त 1999 को आसाम में उग्रवादियों के एक गुट के साथ लडाई में शहीद हो गये थे। दिवंगत मेजर समीर कोतवाल की स्मृति में पाताल भुवनेश्वर कस्बे के प्रवेश द्वार को 'समीर द्वार' का नाम दिया गया है। पर्यटकों की सुविधा हेतु कुमाऊँ मण्डल विकास निगम का गेस्ट हाउस है।

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