मूवी रिव्यु : ज्यादा रोशनी नहीं कर पाई ट्यूबलाइट
By: Sandeep Gupta Fri, 23 June 2017 4:26:57
सलमान खान के 'भाईचारे' की कहानी. इस फिल्म में बहुत सारे इमोशन्स हैं, बॉलीवुड में भाई-भाई
का 'भाईचारा' कम ही देखा गया. फिल्म में युद्ध में अपनों
को खो देने का बहुत सारा गम है. लेकिन इसके बावजूद सलमान खान और उनके बाकी
सह-कलाकार कोई खास प्रभाव छोड़ पाने में सफल नहीं हो पाए.
कुछ दिनों पहले सलमान ने अपनी मूवी का नाम "ट्यूबलाइट" रखने का कारन बताया था जो किसी हद तक सही भी रहा. भारत में 'ट्यूबलाइट' उस शख्स को कहते हैं जो हर बात देर में समझता है, वैसे ही जैसे ट्यूबलाइट 'पक-पक' करके जलती थी. फिल्म में 'ट्यूबलाइट' के दोनों मतलब बहुत विस्तार से समझाया गया है.
फिल्म 1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित है. जब भाई 'भरत' देश की सेवा के लिए सीमा पर चला गया है, लक्षमण उसके बिना बिल्कुल अकेला हो गया है. दोनों भाइयों का आपसी प्यार और एक-दूसरे पर निर्भरता फ़िल्म के शुरूआती 15 मिनटों में स्थापित कर दिए गए हैं.फिल्म के ट्रेलर में यह बात साफ कर दी गई थी कि इसकी कहानी एक अमेरिकी-मैक्सिकन फिल्म 'लिटिल बॉय' से ऑफिशियली ली गई है.
चूंकि फिल्म 60 के दशक पर आधारित है, इसमें सत्य, अहिंसा और यकीन की ताकत समझाने के लिए गांधी जी का सहारा लिया गया है. अपने भाई, अपने एकमात्र आधार और अपने सबसे अच्छे दोस्त को खो देने का गम लक्ष्मण को खा जाता है. हर कोई उसे छोड़ कर जा रहा है. लेकिन अंत में वही होता है.
कुल मिलाकर रेटिंग मिलती है 2.5