श्राद्ध में ध्यान रखने वाली बातें
By: Sandeep Gupta Fri, 15 Sept 2017 7:05:36
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक का समय श्राद्ध पक्ष कहलाता है। शास्त्र बताते है कि श्राद्ध पक्ष अपने पितरों की आत्मा को शांति देने का सही समय होता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय सूर्य दक्षिणायन होता है, जिस कारण आत्माओं की मुक्ति का मार्ग खुल जाता है। और यदि इस दौरान श्राद्ध पाठ और पूजा की जाये तो प्रेत योनि और दुःख से व्यथित आत्माओं को मुक्ति मिल जाती है। श्राद्ध के समय में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, आइये जानते हैं उन्हें।
# पूर्वज की मृत्यु जिस तिथि को हुई हो, श्राद्ध पक्ष में उसी तिथि को उसका श्राद्ध करना चाहिए। अगर तिथि ज्ञात न हो तो सर्व पित्र अमावस्या को श्राद्ध करें।
# ब्राह्मण को भोजन मौन रहकर करवाएं क्योंकि पितर तब तक ही भोजन ग्रहण करते हैं जब तक ब्राह्मण मौन रहकर भोजन करें।
# ब्राह्मणों की परिक्रमा करें एवं उन्हें नमस्कार करें । तदुपरांत श्राद्धकर्ता ब्राह्मणों से प्रार्थना करें। हम सब यह कर्म सावधानी से, शांतचित्त, दक्ष एवं ब्रह्मचारी रहकर करें।
# जो व्यक्ति किसी कारणवश एक ही नगर में रहनी वाली अपनी बहिन, जमाई और भानजे को श्राद्ध में भोजन नहीं कराता, उसके यहां पितर के साथ ही देवता भी अन्न ग्रहण नहीं करते।
# देव-ब्राह्मण के सामने यवोदक से दक्षिणावर्त अर्थात् घडी की दिशा में चौकोर मंडल व पितर-ब्राह्मण के सामने तिलोदक से घडी की विपरीत दिशा में गोलाकार मंडल बनाकर, उन पर भोजन पात्र रखें।
# जो पितृ शस्त्र आदि से मारे गए हों उनका श्राद्ध मुख्य तिथि के अतिरिक्त चतुर्दशी को भी करना चाहिए। इससे वे प्रसन्न होते हैं।
# पिंडदान के उपरांत ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद के अक्षत लें। स्वधावाचन कर सर्व कर्म ईश्वरार्पण करें।