आयुर्वेद में भी बताया गया है सेक्स का सही समय, जानें किस वक्त ले इन हसीन पलों का मजा
By: Ankur Wed, 14 Nov 2018 2:58:28
किसी भी रिलेशनशिप की मजबूती के लिए बेहतर सेक्स का होना बहुत जरूरी होता हैं। सेक्स आपकी नजदीकियां बढाता हैं और इसी के साथ रिश्ते और तालमेल को बेहतर बनाता हैं। सेक्स को बेहतर बनाने में किस समय सेक्स किया जा रहा हैं, यह बहुत मायने रखता हैं। इसलिए आज हम आपके लिए आयुर्वेद की जानकारी लेकर आए हैं जिसमें यह बताया गया है कि किस समय सेक्स किया जाना बेहतर साबित होता हैं। तो आइये जानते है इसके बारे में।
आयुर्वेद में माना जाता है कि सुबह 6 बजे से 8 बजे के दौरान पुरुष सबसे ज्यादा उत्तेजित होते हैं, हालांकि इस दौरान महिलाएं नींद में होती हैं और उनके शरीर का तापमान कम होता है। इसलिए इस वक्त सेक्स पुरुषों के लिए तो बढ़िया रहता है लेकिन महिलाओं इस वक्त सेक्स ज्यादा एंजॉय नहीं करतीं।
माना जाता है कि इस वक्त महिलाएं उत्तेजित होती हैं लेकिन पुरुषों का टेस्टोस्टेरॉन लेवल सामान्य होता है लिहाजा वे सेक्स के बजाए बढ़िया ब्रेकफस्ट की तलाश में हो सकते हैं।
आयुर्वेद की मानें तो दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान महिलाओं का रिप्रोडक्टिव सिस्टम काफी सक्रिय होता है तो अगर कंसीव करना चाहते हैं तो यह वक्त सही है।
आयुर्वेद के हिसाब से कहीं-कहीं यह भी लिखा पाया गया है कि सेक्स से शरीर में वात दोष बढ़ता है इसलिए सूरज निकलने के बाद से सुबह 10 बजे तक का समय सेक्स के लिए बेस्ट होता है। हालांकि भाग-दौड़ वाली लाइफस्टाइल को देखते हुए यह संभव नहीं तो हल्के डिनर के बाद रात 8 बजे से 10 बजे तक का समय सेक्स के लिए अच्छा माना जाता है।
आयुर्वेद के मुताबिक खाली पेट या भारी खाने के बाद सेक्स करने से वात का बैलेंस बिगड़ सकता है, इससे डाइजेशन से जुड़ी समस्याएं, सिरदर्द और गैस्ट्रिक हो सकता है। सेक्स से पहले हल्का खाना खाएं। ये भी कहा गया है कि सर्दी और बसंत ऋतु की शुरुआत सही मौसम माने जाते हैं। गर्मी और पतझड़ के समय वात बढ़ जाता है इसलिए हमें सेक्स और ऑर्गैज्म की फ्रीक्वेंसी कम कर देनी चाहिए।
सेक्स और फर्टिलिटी से जुड़ी कुछ खास जानकारी
हर कपल के मन में सेक्स से जुड़े कई सवाल होते हैं, जो वे किसी से पोछने से कतराते हैं। खासतौर से फर्टिलिटी और गर्भधारण से जुड़े सवालों का वे जवाब जानना चाहते हैं। इसलिए आज हम आपकी दुविधा को दूर करने के लिए सेक्स से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब लेकर आए हैं, जो आपकी हर उलझन को दूर कर देंगे। तो आइये जानते है इस जानकारी के बारे में।
* कैसे होती है फर्टिलिटी
लिंग के नीचे अंग की तरह एक अंडकोश (scrotum) की थैली होती है। अंडकोश पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन और शुक्राणुओं का उत्पादन करते हैं। इजेकुलेशन पर स्पर्म को मूत्र मार्ग से मुक्त किया जाता है। यौन संबंध के दौरान, लिंग गर्भाशय (cervix) के पास होता है, जहां से शुक्राणु आगे की ओर जाते हैं और अंडाशय (ovum) तक पहुंचते हैं। अंडकोश (testicles) के अंदर उत्पादित शुक्राणुओं को परिपक्वता के लिए वृषण (testes) से अधिवृषण (epididymis) में आ जाते हैं। यहां पर शुक्राणु लगभग 15-20 दिनों तक संग्रहीत रहते है अगर उन्हें बाहर नहीं किया जाता है तो।
* कम सेक्स का भी होता है असर
शोध कर्ता बताते है कि लंबे समय तक अधिवृषण (epididymis) में शुक्राणुओं का भंडारण उनके डीएनए में परिवर्तन का कारण बनता है। यह शरीर में मुक्त कणों के कारण होता है। शुक्राणु गर्मी के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं और शरीर में जितना अधिक समय बिताते हैं, गर्मी के जोखिम से उतना ही अधिक खतरा होता है। ये कारक शुक्राणुओं की संख्या में कमी, पुरुष बांझपन और शुक्राणुओं के असामान्य आकार का कारण बनते है।
* क्या ज्यादा सेक्स का होता है असर
शोध कर्ताओं के मुताबिक ज्यादा इजेकुलेशन पुरुष बांझपन और पुरुष प्रजनन क्षमता में कमी की गारंटी नहीं दे सकता है। एक सप्ताह की अधिकतम अवधि तक व्यक्ति बिना इजेकुलेशन के रह सकता है। स्खलन में देरी के साथ शुक्राणुओं की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन संचित शुक्राणु का आनुवांशिक और गुणवत्ता के आधार पर खराब होने का खतरा होता हैं। टेस्टिकल्स में जितने अधिक मात्रा में शुक्राणु खर्च होते हैं उतना ही अधिक गर्मी के संपर्क में आने का जोखिम होता है जो उन्हें मार सकता है।
* कितनी बार सेक्स करना होता है सही
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि गर्भ में शुक्राणु तीन दिनों तक रहता है। तो हर 2-3 दिनों में यौन संबंध रखने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि शुक्राणु हमेशा अंडाशय (ovulation) के बाद जारी अंडे के लिए उपलब्ध होते हैं। इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। विशेषज्ञो का सुझाव है कि अच्छे परिणामों के लिए वे अपने पार्टनर के ओव्यूलेशन पीरियड से एक सप्ताह पहले से ही यौन संबंध रखें। हर 2-3 दिनों में यौन संबंध रखने से गर्भधारण के चांस बढ़ सकते है।
* लेते रहें ब्रेक
आस्ट्रेलिया में किए गए शोध में पाया गया कि सात दिनों के लिए यौन संबंध अधिक सक्रिय और मोटे शुक्राणुओं के परिणामस्वरूप आनुवांशिक क्षति (genetic damage) में 12% की कमी आई थी। हालांकि – शुक्राणु की संख्या में कमी (sperm concentration) का कारण बन गया, लेकिन अभी भी वे स्वस्थ सीमा में बने रहे। इन परिणामों के आधार पर, शोधकर्ताओं ने पाया कि एक पखवाड़ें के लिए दैनिक यौन संबंध रखने से शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम हो सकती है। इसलिए आपको यहां ब्रेक लेने की जरूरत है।