ईरान और इजरायल के बीच लगातार बढ़ता तनाव अब खुले युद्ध के रूप में सामने आने लगा है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक तीखा संदेश जारी करते हुए लिखा कि "जंग शुरू होती है", और इस संदेश के कुछ ही देर बाद ईरान ने इजरायल की ओर 25 मिसाइलें दागीं। यह हमला दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष को युद्ध की दिशा में ले जाता स्पष्ट संकेत माना जा रहा है।
ईरान और इजरायल के बीच यह संघर्ष अब छठे दिन में प्रवेश कर चुका है। ईरान की ओर से हमले के तुरंत बाद इजरायल ने भी प्रतिक्रिया देते हुए 12 जगहों पर सटीक और जवाबी कार्रवाई की। खामेनेई ने अपने पोस्ट में यह भी लिखा, “हम आतंकी यहूदी शासन को कड़ा जवाब देंगे, उन पर कोई दया नहीं करेंगे।” यह बयान ईरान की आक्रामक नीति और रुख को दर्शाता है जो अब खुलकर सामने आ चुका है।
इससे पहले भी खामेनेई ने कहा था कि वे ज़ायोनिस्ट शासन से किसी भी हाल में समझौता नहीं करेंगे। इस सख्त बयान और मिसाइल हमले से यह बात और स्पष्ट हो गई है कि ईरान अब सीधे तौर पर युद्ध के मैदान में उतर चुका है। इसके चलते पूरे मध्य पूर्व में भय और अनिश्चितता का माहौल और गहराता जा रहा है।
We must give a strong response to the terrorist Zionist regime.
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) June 17, 2025
We will show the Zionists no mercy.
इजरायल की चेतावनी: खामेनेई का अंजाम सद्दाम हुसैन जैसा होगा?
इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह इजरायल के खिलाफ आक्रामक रवैया जारी रखते हैं, तो उनका अंजाम भी सद्दाम हुसैन जैसा हो सकता है। यह बयान सीधे तौर पर ईरान को सख्त सैन्य परिणामों की चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
कैट्ज ने कहा, “खामेनेई को याद रखना चाहिए कि इजरायल का विरोध करने वाले एक तानाशाह का क्या अंजाम हुआ था।” उनका इशारा स्पष्ट रूप से इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन की ओर था, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय दबाव और हस्तक्षेप के बाद सत्ता से हटाकर फांसी दी गई थी। इस तुलना से इजरायल ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि अगर हालात नहीं बदले तो अंजाम बेहद गंभीर हो सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि ईरान और इजरायल के बीच का तनाव अब पूरे क्षेत्र को युद्ध की चपेट में लेने की आशंका को जन्म दे चुका है, और आने वाले दिन अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।