जब दुनिया पश्चिम एशिया में इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते युद्ध जैसे हालात से चिंतित थी, ठीक उसी वक्त भारतीय शेयर बाजार ने विपरीत रुख अपनाया। 20 जून 2025 को सेंसेक्स और निफ्टी में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। युद्ध जैसी आशंकाओं के बावजूद बाजार ने न केवल स्थिरता दिखाई, बल्कि निवेशकों को मालामाल भी कर दिया। सवाल उठता है — आखिर इस उछाल की वजह क्या है?
बाजार में आई जबरदस्त तेजी
20 जून की सुबह जब कारोबार शुरू हुआ, तो सेंसेक्स 81,354 अंकों से छलांग लगाकर 82,297 पर पहुंच गया। यानी करीब 950 अंकों का उछाल। निफ्टी भी 24,787 से बढ़कर 25,078 तक जा पहुंचा। यह सिर्फ नंबरों की छलांग नहीं थी, बल्कि निवेशकों के भरोसे की भी एक झलक थी।
सिर्फ एक दिन में बाजार की कुल पूंजी ₹3 लाख करोड़ से ज्यादा बढ़ी, जिससे कुल मार्केट वैल्यू 443 लाख करोड़ से बढ़कर 446 लाख करोड़ रुपये हो गई। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने भी अच्छी बढ़त दर्ज की।
इस तेजी की 4 प्रमुख वजहें
'सस्ते शेयरों' में खरीदारी का सुनहरा मौका
बीते तीन कारोबारी दिनों में बाजार में गिरावट देखने को मिली थी, जिससे कई अच्छे शेयर सस्ते हो गए थे। निवेशकों ने इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया। शेयर विश्लेषक अविनाश गोरक्षकर के अनुसार, "लोगों को शायद यह लगा कि तनाव और नहीं बढ़ेगा, और बाजार अब पलटाव करेगा। इस उम्मीद में मजबूत शेयरों की खरीदारी हुई।"
कच्चे तेल की कीमतों में नरमी
तेल की कीमतें वैश्विक तनाव से सीधी प्रभावित होती हैं। लेकिन इजराइल-ईरान विवाद के बीच भी क्रूड ऑयल 2% गिरकर $77 प्रति बैरल पर आ गया। यह भारत जैसी तेल आयातक अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी राहत है। अमेरिका द्वारा तत्काल किसी सैन्य हस्तक्षेप से परहेज करने की नीति ने तेल व्यापारियों को मुनाफावसूली का मौका दिया। विशेषज्ञ मानते हैं कि "जब तक तेल $80 से नीचे रहेगा, भारत को घाटा नहीं होगा।"
विदेशी निवेशकों की वापसी
फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) भारतीय बाजार को लेकर फिर से सकारात्मक रुख अपना रहे हैं। सिर्फ 19 जून को उन्होंने ₹935 करोड़ के शेयर खरीदे, जो बाजार में तेजी की पुष्टि है। यह ट्रेंड लगातार तीसरे दिन जारी रहा। भारत की स्थिर अर्थव्यवस्था और बढ़ती विकास दर विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रही है।
तकनीकी स्तरों पर भरोसा
कोटक सिक्योरिटीज के विश्लेषक श्रीकांत चौहान के मुताबिक, "निफ्टी ने जैसे ही 24,900 पार किया, खरीदारी का सिग्नल मिल गया। 25,000 पार करने के बाद यह 25,050 तक जा सकता है।"
हालांकि उन्होंने यह भी सलाह दी कि "24,800 के नीचे स्टॉप लॉस लगाना जरूरी है। अगर निफ्टी 24,700 के नीचे आया, तो सतर्क हो जाएं।"
इस तकनीकी मजबूती ने ट्रेडर्स और शॉर्ट-टर्म निवेशकों का विश्वास और बढ़ाया।
बाजार की इस मजबूती का क्या मतलब है?
इस उछाल से दो बातें साफ होती हैं:
भारतीय निवेशक अब सिर्फ वैश्विक भू-राजनीति से नहीं डरते, वे अपनी अर्थव्यवस्था की ताकत पर भरोसा करते हैं।
विदेशी निवेशकों को भी यह भरोसा है कि भारत जैसे उभरते बाजार में जोखिम की भरपाई मुनाफे से की जा सकती है।
क्या यह स्थायी रुझान है?
हालांकि बाजार की मौजूदा तेजी कई कारकों की देन है, लेकिन विशेषज्ञ सतर्कता बरतने की सलाह भी दे रहे हैं। अगर इजराइल-ईरान तनाव और बढ़ा या तेल की कीमतों में उछाल आया, तो बाजार में एक बार फिर अस्थिरता देखी जा सकती है।
फिलहाल के लिए, यह साफ है कि भारतीय शेयर बाजार ने संकट को अवसर में बदलने की मिसाल पेश की है।