
देश की सियासत में उस समय अचानक गर्मी आ गई जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चौंकाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह फैसला सभी के लिए अप्रत्याशित था। अपने त्यागपत्र में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा। लेकिन इस कदम के बाद कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए, जिनमें सबसे प्रमुख हैं—क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य का मामला है या इसके पीछे कोई बड़ी सियासी हलचल छुपी है?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस घटनाक्रम पर गंभीर सवाल उठाते हुए ट्विटर (अब X) पर पूरी मीटिंग की टाइमलाइन साझा की। उन्होंने लिखा कि 21 जुलाई की दोपहर 12:30 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की बैठक की अध्यक्षता स्वयं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने की थी। इस मीटिंग में जेपी नड्डा, किरण रिजिजू, और कई अन्य सदस्य मौजूद थे। चर्चा के बाद तय हुआ कि अगली बैठक उसी दिन शाम 4:30 बजे दोबारा होगी।
शाम 4:30 बजे सभी सदस्य दोबारा मीटिंग के लिए उपस्थित हुए, लेकिन इस बार नड्डा और रिजिजू गैरहाज़िर रहे। जयराम रमेश के अनुसार, सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि उपराष्ट्रपति को यह भी व्यक्तिगत रूप से नहीं बताया गया कि दोनों मंत्री बैठक में नहीं आएंगे। इससे धनखड़ आहत हुए और उन्होंने BAC की अगली बैठक को अगले दिन 22 जुलाई को दोपहर 1 बजे के लिए टाल दिया।
जयराम रमेश का बड़ा दावा—1 बजे से 4:30 बजे के बीच कुछ हुआ है!
रमेश ने आगे कहा, "इस बात से साफ ज़ाहिर होता है कि दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ बेहद महत्वपूर्ण और गंभीर घटनाक्रम घटा है। हो सकता है कि उसी के परिणामस्वरूप दोनों मंत्रियों ने जानबूझकर बैठक से दूरी बनाई हो।" उन्होंने यह भी कहा कि उपराष्ट्रपति ने इस्तीफे का कारण भले ही स्वास्थ्य को बताया हो, लेकिन इस निर्णय के पीछे गहरी राजनीतिक पृष्ठभूमि हो सकती है।
धनखड़ की सार्वजनिक छवि और विचार
जयराम रमेश ने यह भी जोड़ा कि उपराष्ट्रपति धनखड़ ने 2014 के बाद भारत के विकास की तारीफ जरूर की, लेकिन वह किसानों के हक में आवाज उठाने वाले, न्यायपालिका की जवाबदेही की पैरवी करने वाले, और सत्ता में बढ़ते अहंकार की आलोचना करने वाले व्यक्ति रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि G2 सरकार के दौरान भी उन्होंने विपक्ष को यथासंभव मंच देने की कोशिश की।
उनका कहना है कि धनखड़ नियमों, मर्यादाओं और प्रक्रियाओं के प्रति सख्त थे, लेकिन उन्हें लगता रहा कि उनकी भूमिका में इन सभी का उल्लंघन हो रहा है। उनका इस्तीफा ना केवल उनके आत्मसम्मान की रक्षा है, बल्कि यह उन्हें उस पद तक पहुंचाने वालों की नीयत पर भी सवाल उठाता है।
वहीं, कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने कहा कि कल के मीटिंग में वो स्वस्थ थे। अचानक से उनके इस्तीफे का कारण स्वास्थ नहीं है। ये कोई और गंभीर मामला है और राजनीति में भयंकर तूफान आने की सूचना है।
मॉनसून सत्र के पहले दिन इस्तीफा
74 वर्षीय धनखड़ हाल ही में AIIMS, दिल्ली में एंजियोप्लास्टी करवा चुके थे। उन्होंने यह इस्तीफा उस दिन दिया, जब संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने जा रहा था। राज्यसभा के सभापति के रूप में उनके कई बार विपक्ष से टकराव हुए। इतना ही नहीं, उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव भी विपक्ष ने पेश किया था, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया। एक दिलचस्प मोड़ यह भी है कि उनका इस्तीफा उस दिन आया जब राज्यसभा में विपक्ष ने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने का नोटिस पेश किया था, जिसे धनखड़ ने स्वीकार भी किया था। यह कदम सरकार के लिए चौंकाने वाला था।














