
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जिन सीटों ने सबसे ज्यादा चर्चाएं बटोरीं, उनमें परिहार विधानसभा सबसे ऊपर रही। यहां वर्षों से राजनीतिक हलकों में गूंजता एक नाम इस बार चुनाव का केंद्र बना—रितु जायसवाल, जिन्हें स्थानीय जनता प्यार से ‘मुखिया दीदी’ कहकर बुलाती है। राजद से टिकट न मिलने के बाद उनके बागी रूप ने पूरे चुनावी माहौल को हिला कर रख दिया और यह कदम RJD को भारी पड़ गया।
टिकट विवाद ने बदल दिया पूरा समीकरण
साल 2020 में RJD की उम्मीदवार रह चुकीं रितु जायसवाल ने बेहद नज़दीकी मुकाबले में केवल 1569 वोटों से हार का सामना किया था। तब माना जा रहा था कि 2025 में तेजस्वी यादव इस सीट पर उन्हें दोबारा मौका देंगे। लेकिन टिकट किसी और को मिलने के बाद रितु जायसवाल ने खुलकर नाराजगी जताई और निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। इसके बाद परिहार की राजनीति में ऐसा भूचाल आया कि राजद का जातिगत और संगठनात्मक संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया।
तीन-कोने की लड़ाई में भाजपा ने मारी बाजी
निर्दलीय मैदान में कूदते ही रितु जायसवाल ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। अंतिम नतीजे इस प्रकार रहे—
विजेता – गायत्री देवी (BJP)
वोट: 82,644
बहुमत: +17,189
दूसरे स्थान पर – रितु जायसवाल (Independent)
वोट: 65,455
तीसरे स्थान पर – स्मिता गुप्ता (RJD)
वोट: 48,534
नतीजे साफ दिखाते हैं कि यदि रितु जायसवाल राजद के टिकट पर लड़तीं तो स्थिति पूरी तरह बदल सकती थी। उनके 65 हज़ार से अधिक वोट सीधे RJD के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने वाले साबित हुए।
रितु जायसवाल की लोकप्रियता अभी भी बेमिसाल
बिना किसी बड़े राजनीतिक संगठन और चुनावी मशीनरी के रितु जायसवाल ने जिस तरह का प्रदर्शन किया, उसने यह साफ कर दिया कि उनकी जमीन से जुड़ी छवि और काम करने की शैली अभी भी लोगों को गहरे स्तर पर प्रभावित करती है। चुनावी प्रचार के दौरान उन्होंने कई बार खुलकर कहा कि RJD में टिकट वितरण मेहनत देखने के बजाय "चमकदार राजनीति" को प्राथमिकता दी गई। यही नाराजगी उनके बागी अवतार का कारण बनी।
सबसे बड़ा नुकसान RJD को
नतीजों ने यह भी साबित किया कि RJD ने टिकट चयन में रणनीतिक भूल की। RJD प्रत्याशी स्मिता गुप्ता केवल 48 हजार वोटों पर सिमट गईं। पार्टी का एक बड़ा वोट सीधे रितु जायसवाल की तरफ मुड़ गया। परिहार में राजद की हार की सबसे बड़ी वजह यही रही कि उसने अपने ही मजबूत चेहरे को दरकिनार कर दिया।
गायत्री देवी ने दोबारा लहराई जीत का परचम
भाजपा उम्मीदवार गायत्री देवी ने लगातार दूसरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की। 2020 में भी उन्होंने रितु जायसवाल को हराया था, लेकिन इस बार चुनौती कई गुना बड़ी थी। फिर भी भाजपा का मजबूत संगठन, बूथ प्रबंधन और वोट ट्रांसफर ने उन्हें लक्ष्य तक पहुंचाया।
परिहार से मिला बड़ा राजनीतिक संदेश
परिहार का परिणाम एक साफ संकेत है— अगर एक लोकप्रिय स्थानीय चेहरा नाराज होता है, तो उसका असर पूरे चुनाव पर पड़ता है। राजद ने रितु जायसवाल को टिकट न देकर राजनीतिक तौर पर खुद को कमजोर किया, जबकि भाजपा ने मौके का फायदा उठाकर अपनी जीत पक्की कर ली।














