अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, इसे "बुरा हमला" करार दिया। एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान इस स्थिति का समाधान खुद ही करेंगे।
उन्होंने कहा, "मैं भारत के बहुत करीब हूं और पाकिस्तान के भी बहुत करीब हूं, जैसा कि आप जानते हैं, और कश्मीर में वे लोग हजारों सालों से लड़ रहे हैं। कश्मीर में यह संघर्ष हजारों साल से चल रहा है, शायद उससे भी ज्यादा समय से, और कल (आतंकी हमला) यह एक बुरा हमला था, यह (आतंकी हमला) बहुत खराब था, 30 से ज्यादा लोग मारे गए।"
जब उनसे कश्मीर क्षेत्र पर जारी विवाद के बारे में पूछा गया, तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने जवाब दिया, "उस सीमा पर तनाव 1,500 सालों से है। तो, आप जानते हैं, यह वही स्थिति रही है, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि वे इसे किसी न किसी तरीके से सुलझा लेंगे। मैं दोनों नेताओं को जानता हूं, पाकिस्तान और भारत के बीच बहुत तनाव है, लेकिन यह हमेशा से था।"
इससे पहले, डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फोन कॉल पर इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी और भारत को पूरी तरह समर्थन दिया था, ताकि इस "घृणित हमले" के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जा सके।
क्षेत्र में सबसे घातक हमला, पुरानी प्रतिद्वंद्विता को हवा देता है
मंगलवार को कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल बैसरान में हुए हमले में 26 लोग मारे गए थे। यह हमले के बाद से क्षेत्र में पिछले दो दशकों का सबसे घातक हमला साबित हुआ।
आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते में तेज गिरावट आई है।
केंद्र सरकार ने कूटनीतिक प्रतिक्रिया के रूप में कई कदम उठाए, जिनमें अटारी स्थित इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना (SVES) को निलंबित करना, और दोनों देशों के उच्चायोगों में अधिकारियों की संख्या को घटाना शामिल था।
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद 1960 की सिंधु जल संधि को भी निलंबित कर दिया था। शुक्रवार को भारतीय अधिकारियों ने यह घोषणा की कि भारत यह सुनिश्चित करेगा कि सिंधु नदी का पानी व्यर्थ न जाए और न ही पाकिस्तान में बहने दिया जाए। इसके लिए भारत ने तीन मोर्चों पर — शॉर्ट-टर्म, मिड-टर्म और लॉन्ग-टर्म योजनाओं की घोषणा की, ताकि नदी का पानी पाकिस्तान तक न पहुंचे।
कश्मीर क्षेत्र लंबे समय से दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच संघर्ष का केंद्र रहा है। भारत और पाकिस्तान पहले ही कश्मीर को लेकर दो प्रमुख युद्ध लड़ चुके हैं।