पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को जवाब देने में बिल्कुल भी देर नहीं की है। इस आतंकी हमले में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने निर्दोष यात्रियों की जान ली, जिसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को रोकने का फैसला लिया है। भारत के इस निर्णय से पाकिस्तान बुरी तरह से घबरा गया है, क्योंकि यह समझौता उसके लिए जीवन रेखा जैसा है। इस फैसले से पाकिस्तान की बड़ी आबादी पर पीने के पानी और सिंचाई दोनों के संकट का खतरा मंडरा रहा है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया – हवा में तैरते फैसले
भारत के फैसले के जवाब में पाकिस्तान ने अपने एयरस्पेस को बंद करने, वाघा बॉर्डर को सील करने और यहां तक कि शिमला समझौते को भी निलंबित करने की धमकी दी है। लेकिन ये सभी प्रतिक्रियाएं बौखलाहट से ज्यादा कुछ नहीं लगतीं क्योंकि भारत ने सिंधु जल समझौते को रोककर पाकिस्तान पर एक ऐसा प्रहार किया है जो उसकी मूलभूत आवश्यकताओं को ही प्रभावित करेगा।
अब्दुल बासित की गीदड़भभकी – चीन के भरोसे पाकिस्तान
भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत एकतरफा रूप से सिंधु जल समझौते को नहीं रोक सकता है। उन्होंने दावा किया कि भारत के पास ऐसी आधारभूत संरचना ही नहीं है कि वह सिंधु नदी का पानी रोक सके। बासित यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि यदि भारत ने पानी रोका तो चीन भी भारत की नदियों का पानी रोक सकता है क्योंकि भारत की कई नदियां चीन से होकर आती हैं।
'डॉन' न्यूज चैनल के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए अब्दुल बासित ने कहा, “अगर सर्वाइवल की बात आएगी, यानी अस्तित्व की बात होगी, और पानी नहीं बहा, तो खून बहाना पड़ेगा।” यह बयान सीधे तौर पर युद्ध की धमकी जैसा है, जो पाकिस्तान की हताशा और भारत के जवाब से हुई बौखलाहट को दर्शाता है।
चीन से उम्मीद करना बेमानी
बासित के इस बयान की वास्तविकता पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की उम्मीदें खोखली हैं। चीन, पाकिस्तान के कहने पर ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोकने जैसा कदम नहीं उठाएगा। दूसरी ओर, भारत और चीन के संबंध हाल के वर्षों में काफी बेहतर हुए हैं और दोनों देशों के बीच रणनीतिक समझ विकसित हो रही है। बासित का यह दावा कि भारत के पास सिंधु का पानी रोकने की व्यवस्था नहीं है, भी भ्रामक है।
भारत की तैयारी – कौन-कौन से बांध रोक सकते हैं पाकिस्तान का पानी?
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में सिंधु नदी प्रणाली पर कई प्रमुख बांधों का निर्माण किया है या कर रहा है, जो इस दावे को पूरी तरह से झूठा साबित करते हैं।
बगलिहार बांध, चिनाब नदी पर जम्मू-कश्मीर के रामबन में स्थित है। इस पर पाकिस्तान पहले ही आपत्ति जता चुका है।
रातले बांध, चिनाब नदी पर निर्माणाधीन है और अगले साल तक पूरा होने की संभावना है। यह 850 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना है।
सलाल बांध, जो 1996 में पूरा हुआ और चिनाब नदी पर स्थित है।
उड़ी बांध, 1997 से काम कर रहा है और यह भी चिनाब पर बना है।
किशनगंगा बांध, झेलम नदी पर स्थित है और पाकिस्तान ने इस पर भी सवाल उठाए थे।
नीमू बाजगो बांध, लद्दाख में सिंधु नदी पर बना है।
शाहपुर कांडी बांध, पंजाब में रावी नदी पर बन रहा है।
इन सभी बांधों के ज़रिए भारत सिंधु जल समझौते के तहत मिले अधिकारों का पूरी तरह उपयोग कर सकता है, जिससे पाकिस्तान को पानी की जबरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ेगा।