मद्रास हाईकोर्ट ने पश्चिमी घाट क्षेत्र में 28 प्रकार की प्लास्टिक वस्तुओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, जिनमें पीईटी बोतलें और प्लास्टिक कटलरी भी शामिल हैं। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब खाद्य और अन्य उत्पादों की पैकेजिंग के लिए जैव-अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल) विकल्पों को अपनाया जाए। साथ ही, प्रतिबंधित प्लास्टिक सामग्री का परिवहन या वितरण करते पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के आदेश भी सरकार को दिए गए हैं।
मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एन. सतीश कुमार और न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती शामिल हैं, ने हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अंतरिम आदेश जारी किए। यह याचिकाएं जी. सुब्रमणिया कौशिक और अन्य द्वारा दायर की गई थीं।
अदालत ने तमिलनाडु सरकार को मोटर वाहन अधिनियम के तहत एक नई शर्त जोड़ने का निर्देश दिया है—पश्चिमी घाट क्षेत्र में प्रतिबंधित प्लास्टिक सामग्री को ले जाने या वितरित करने वाले वाहनों को जब्त किया जाए। इसके साथ ही, नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
कोर्ट ने खाद्य पदार्थ बेचने वाले दुकानदारों और वितरकों को प्लास्टिक फॉयल या समान सामग्री के बजाय जैव-अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल) पैकेजिंग अपनाने का आदेश दिया है।
प्रतिबंधित वस्तुओं में एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक पानी और जूस की बोतलें, भोजन लपेटने में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक शीट्स और क्लिंग फिल्म, डाइनिंग टेबल कवर, प्लास्टिक प्लेटें, प्लास्टिक-कोटेड कागज़ की प्लेटें और कप, प्लास्टिक चाय कप, टम्बलर और थर्मोकोल कप शामिल हैं।
इसके अलावा मिठाई के डिब्बों, निमंत्रण पत्रों और सिगरेट के पैकेटों पर लपेटी जाने वाली प्लास्टिक फिल्म, 100 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले पीवीसी बैनर, प्लास्टिक स्टिरर और ट्रे भी प्रतिबंध की सूची में जोड़े गए हैं।
यह आदेश पश्चिमी घाट के संपूर्ण क्षेत्र—जिसमें नीलगिरि और कोडईकनाल जैसे लोकप्रिय हिल स्टेशन भी आते हैं—में लागू होगा।