जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर को 2008 में हुए सिलसिलेवार धमाकों से जुड़े एक केस में चार दोषियों को आजीवन जेल में रहने की सजा सुनाई गई है। 12 मिनट के भीतर हुए 8 धमाकों में 71 लोगों की मौत हो गई थी और 180 लोग घायल हुए थे। यह मामला 13 मई, 2008 को चांदपोल में मिले बम से जुड़ा है। इस बम को सुरक्षा दस्तों ने निष्क्रिय किया था। 9वें बम के मामले में कोर्ट ने सरवर आजमी, शाहबाज, सैफुर्रहमान और मोहम्मद सैफ को 4 अप्रैल को दोषी करार दिया था।
सजा के साथ ही अदालत ने अभियुक्तों पर जुर्माना भी लगाया है। पीठासीन अधिकारी रमेश कुमार जोशी ने चारों अभियुक्तों को सजा सुनाते हुए कहा कि अभियुक्तों ने शहर को दहलाने के लिए बम प्लांट किया। ऐसे में उनके प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता है।
फैसला सुनाते हुए जस्टिस जोशी ने कहा कि सबसे बड़ा न्यायालय हमारा मन होता है। क्या सही है और क्या गलत, यह हमारा मन जानता है। अगर सजा हुई है तो गुनाह भी हुआ होगा। अदालत ने गत 4 अप्रैल को दोनों पक्षों की बहस सुनकर अभियुक्तों को विभिन्न धाराओं में दोषी मान लिया था। सजा सुनने के बाद चारों आरोपी कोर्ट रूम से हंसते, मुस्कुराते हुए बाहर निकले। उनके चेहरे पर न तो किसी तरह की कोई शिकन रही और न ही अपराध को लेकर कोई अफसोस।
करीब 17 साल पहले हुए सीरियल बम धमाकों के दौरान जिंदा बम पाए गए केस में चारों को कोर्ट ने 2 दिन पहले ही दोषी करार दिया था। कोर्ट ने मामले में 600 पन्नों का फैसला दिया है। वहीं, सरकार की ओर से 112 सुबूत, 1192 दस्तावेज, 102 आर्टिकल और 125 पेज की लिखित बहस पेश की गई थी।
2008 में हुआ था सिलसिलेवार धमाका
फैसला सुनाने से पहले ही राजस्थान पुलिस ने सुरक्षा की दृष्टि से कोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया। 13 मई को 2008 को जयपुर में 8 सीरियल ब्लास्ट हुए थे, नौवां बम चांदपोल बाजार के गेस्ट हाउस के पास मिला था, जिसको फटने से ठीक 15 मिनट पहले ही डिफ्यूज कर दिया गया था। मामले में कोर्ट ने सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ, सेफ़ुर्रहमान, शाहबाज को दोषी पाया और आज आजीवन कारावास की सजा सुना दी है।
बता दें कि इससे पहले साल 2019 के दिसंबर महीने में निचली अदालत ने जयपुर धमाकों के मामले में सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सलमान और सैफुर्रहमान को मौत की सजा सुनाई थी। वहीं, पांचवें आरोपी शाहबाज को संदेह के लाभ में बरी कर दिया गया था। जिन चार को सजा सुनाई गई थी, उन्होंने सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने 29 मार्च, 2023 को चारों को बरी कर दिया और शाहबाज हुसैन को बरी करने के फैसले की भी पुष्टि की।
जमानत पर आए थे कोर्ट, अब कस्टडी में
चार में से दो आरोपी — सैफुर्रहमान और मोहम्मद सैफ पहले से जयपुर सेंट्रल जेल में बंद थे, जबकि सरवर आजमी और शाहबाज अहमद जमानत पर बाहर थे। फैसले के दिन जब वे कोर्ट में पहुंचे, तो सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें तत्काल पुलिस कस्टडी में ले लिया गया।
112 गवाह, 17 साल की लड़ाई
इस केस में राजस्थान एटीएस ने 25 दिसंबर 2019 को इन चारों को जेल से फिर से गिरफ्तार किया था। इसके बाद जिंदा बम मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की गई, जिसमें पत्रकार प्रशांत टंडन, पूर्व एडीजी अरविंद कुमार, और साइकिल कसने वाले दिनेश महावर समेत कुल 112 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
आरोपियों की दलील
दोषियों की ओर से वकील मिन्हाजुल हक़ ने कोर्ट में दलील दी कि मंदिर के सामने साइकिल किसने रखी, इसका सबूत पुलिस के पास नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जिंदा बम केस और सीरियल ब्लास्ट केस में समान तथ्य हैं, जिनके आधार पर हाईकोर्ट पहले ही बरी कर चुका है। लेकिन कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की बात को मजबूत माना और किसी भी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया।
71 लोगों की हुई थी मौत
दरअसल, यह पूरा मामला 13 मई,
2008 को जयपुर के चांदपोल में मिले बम से जुड़ा है। इस बम को सुरक्षा
दस्तों ने डिफ्यूज कर दिया था। 13 मई 2008 को जयपुर शहर में सिलसिलेवार
तरीके से कुल आठ बम धमाके हुए थे। इसके बाद नौवां बम चांदपोल बाजार के पास
मिला था, जिसे डिफ्यूज कर दिया गया था। जयपुर के माणक चौक खंदा, चांदपोल
गेट, बड़ी चौपड़, छोटी चौपड़, त्रिपोलिया गेट, जौहरी बाजार और सांगानेरी
गेट पर एक के बाद एक बम फटे थे। इन बम धमाकों में 71 लोगों की जान चली गई
थी और 180 अन्य घायल हो गए थे।