जोधपुर । देश भर में चर्चित हुए जोधपुर के अनीता हत्याकांड मामले में जोधपुर पुलिस द्वारा 30 जनवरी को चार्जशीट पेश करने के बाद सोमवार को सीबीआई की दिल्ली शाखा ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कर ली है। खास बात यह है कि सीबीआई ने इस प्रकरण में मुख्य आरोपी गुलामुद्दीन के साथ-साथ प्रॉपर्टी व्यवसायी तैयब अंसारी और अनीता की सहेली सुनीता और सुमन को भी आरोपी बनाया है। मामले की जांच सीबीआई के डिप्टी एसपी प्रणब दास करेंगे।
अनीता चौधरी के गायब होने के बाद सुनीता और अनीता के पति मनमोहन चौधरी के बीच का एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें प्रॉपर्टी व्यवसायी अंसारी का नाम आया था। सुनीता ने तैयब अंसारी पर अनीता को गायब करने का शक जताया था, जिसके बाद पुलिस ने तैयब अंसारी और सुनीता दोनों को लंबे समय तक हिरासत में रखा, लेकिन किसी तरह का सबूत नहीं मिलने पर उन्हें छोड़ना पड़ा। बाद में पुलिस ने न्यायालय में इन दोनों का नार्को टेस्ट करने के लिए भी प्रार्थना पत्र दायर किया था, लेकिन दोनों ने इससे इनकार कर दिया था।
मामले में पुलिस ने 30 जनवरी 2025 को कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। इसमें सिर्फ गुलामुद्दीन और उसकी पत्नी आबिदा को ही आरोपी माना था। सोमवार को सीबीआई की एफआईआर में तैयब अंसारी और अनीता की सहेली सुनीता को भी आरोपी बनाया गया है।
अंसारी प्रोपर्टी डीलर है और परिवार का आरोप है कि उसके राजनीतिक रसूख के कारण कार्रवाई नहीं की जा रही। संभवतया एक-दो दिन में सीबीआई की टीम जांच के लिए जोधपुर पहुंच सकती है।
बता दें कि 27 अक्टूबर 2024 को अनीता अपने पार्लर से गुलामुद्दीन के घर गई थी, जिसके बाद 30 अक्टूबर को उसका शव 6 टुकड़ों में गुलामुद्दीन के घर के बाहर से बरामद हुआ था. हत्या के बाद गुलामुद्दीन मुंबई भाग गया था, जिसे पुलिस ने 6 नवंबर को पकड़ा था. जोधपुर पुलिस के एडीसीपी सुनील पवार ने मामले की जांच कर 30 जनवरी को गुलामुद्दीन और उसकी पत्नी आबिदा को आरोपी मानते हुए उनके खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया था.
21 दिन तक नहीं हुआ था अंतिम संस्कार
अनीता मर्डर केस की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर परिजनों ने कई दिनों तक शव नहीं उठाया था। आखिरकार, 21 दिन बाद जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में 19 नवंबर को सहमति बनी थी। इसमें सीबीआई जांच की अनुशंषा की शर्त भी शामिल थी।
28 नवंबर 2024 को राज्य सरकार ने इस प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंषा भेजी थी। सीबीआई के एफआईआर दर्ज नहीं करने पर परिवादी चौधरी ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
कोर्ट की अगली सुनवाई से पहले FIR दर्ज
इसके बाद सरकार ने सुनवाई के दौरान जवाब पेश करने के लिए कुछ दिन की मोहलत मांगी थी, तो कोर्ट ने केस की अगली सुनवाई 27 फरवरी को तय कर दी थी।
इसी क्रम में गृह मंत्रालय की ओर से 21 जनवरी को नोटिफिकेशन जारी हुआ और 3 फरवरी को सीबीआई ने यह एफआईआर दर्ज की। अब इसकी जांच उप अधीक्षक प्रणब दास को सौंपी गई है।
अनसुलझे सवालों पर पुलिस की चुप्पी, सिर्फ लूट के लिए हत्या माना
शहर के बहुचर्चित हत्याकांड में पुलिस शुरुआत से ही गफलत में ही नजर आई। पुलिस पर मनमर्जी करने के भी आरोप लगे। जांच को लेकर बने दबाव के बाद पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट पेश कर सिर्फ गुलामुद्दीन और उसकी पत्नी को ही आरोपी माना।
इनके अलावा तैयब अंसारी को लेकर पुलिस की चुप्पी के चलते कई तरह के सवाल खड़े होते रहे हैं, जो अब भी बने हुए हैं। ऐसे में अब सीबीआई की जांच में इन सवालों से जुड़े जवाब सामने आने की उम्मीद परिजनों को है।