जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत के दो गुटों (जे एंड के पीपुल्स मूवमेंट और डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट) ने अलगाववाद से नाता तोड़ लिया है। इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि वह इस कदम का स्वागत करते हैं। अमित शाह ने कहा कि कश्मीर में अलगाववाद अब इतिहास बन चुका है।
यह पीएम मोदी के सपने की जीत है - अमित शाह
अमित शाह ने मोदी सरकार की एकीकरण नीतियों की सराहना की, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से अलगाववाद को समाप्त कर दिया है। हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों ने अब अलगाववाद से सभी संबंध तोड़ने की घोषणा की है। गृह मंत्री अमित शाह ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे भारत की एकता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण बताया और अन्य समूहों से भी अपील की कि वे आगे आकर अलगाववाद को हमेशा के लिए समाप्त कर दें। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी के विकसित, शांतिपूर्ण और एकीकृत भारत के निर्माण के सपने की बड़ी जीत है।
Separatism has become history in Kashmir.
— Amit Shah (@AmitShah) March 25, 2025
The unifying policies of the Modi government have tossed separatism out of J&K. Two organizations associated with the Hurriyat have announced the severing of all ties with separatism.
I welcome this step towards strengthening Bharat's…
मोहम्मद शफी रेशी ने भी तोड़ा नाता
कश्मीर में बदलाव की लहर के बीच, सोमवार को एक और कट्टरपंथी अलगाववादी नेता एडवोकेट मोहम्मद शफी रेशी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट (डीपीएम) से नाता तोड़ने की घोषणा की। उन्होंने भारत की संप्रभुता और अखंडता में अपनी आस्था व्यक्त करते हुए कहा कि उनका किसी भी राजनीतिक दल, विशेष रूप से किसी ऐसे अलगाववादी संगठन से कोई संबंध नहीं है, जो कश्मीर की आज़ादी या कश्मीर को भारत से अलग करने का समर्थन करता हो।
हुर्रियत के प्रमुख नेता रहे रेशी
एडवोकेट रेशी, कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व वाली हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख नेताओं में से एक माने जाते थे। इसके अलावा, वह डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट (डीपीएम) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। रेशी ने सोमवार रात को दैनिक जागरण से टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि उनका हुर्रियत कॉन्फ्रेंस, डीपीएम या किसी भी अन्य अलगाववादी संगठन से कोई नाता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वह पहले ही डीपीएम से इस्तीफा दे चुके हैं और पिछले सात वर्षों से खुद को अलगाववादी गतिविधियों से दूर रखे हुए हैं, क्योंकि उन्होंने हुर्रियत और इसी तरह के अन्य दलों की असलियत को समझ लिया था।