नींद के दौरान कई बार लोग सोते हुए ही दुनिया से विदा हो जाते हैं। मौत की वजह सामने आती है – हार्ट अटैक। यह एक चौंकाने वाली लेकिन बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। आखिर ये खतरनाक स्थिति क्यों बनती है, और कैसे हम इस खतरे से खुद को बचा सकते हैं? नींद में हार्ट अटैक के खतरे को किस तरह पहचाना और दूर किया जा सकता है? आइए विस्तार से जानते हैं।
नींद में दिल पर क्या होता है असर?
जब हम सोते हैं, तब शरीर भले ही आराम की स्थिति में होता है, लेकिन हमारे ऑर्गन्स लगातार काम कर रहे होते हैं। नींद के दौरान ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट आमतौर पर धीमी हो जाती है, जिससे शरीर को रिकवरी का समय मिलता है। लेकिन अगर नींद की क्वालिटी खराब हो या किसी को छिपी हुई मेडिकल कंडीशन्स हों, तो हार्ट अधिक मेहनत या अनियमित रूप से काम करने लगता है।
इस दौरान कुछ लोगों में नींद के समय हाई ब्लड प्रेशर, अनियंत्रित कोलेस्ट्राॅल लेवल और स्लीप एपनिया जैसे डिसऑर्डर हार्ट अटैक का रिस्क कई गुना बढ़ा देते हैं। स्लीप एपनिया में नींद के दौरान बार-बार सांस रुकती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और हार्ट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जो कई मामलों में हार्ट फेलियर की वजह बन सकता है।
डीप ब्रीदिंग से कम होता है रिस्क
डीप ब्रीदिंग यानी गहरी सांस लेने की तकनीक से नींद में हार्ट अटैक के जोखिम को काफी हद तक घटाया जा सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सोने से पहले कुछ मिनटों तक डीप और स्लो ब्रीदिंग करने से ब्रेन को रिलैक्स करने, हार्ट रेट को स्टेबल रखने और ऑक्सीजन फ्लो को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
इसके अलावा, डीप ब्रीदिंग तनाव को भी घटाता है, जो कि हार्ट हेल्थ के लिए एक बड़ा ट्रिगर होता है। ये आदत लंबे समय तक अपनाई जाए तो हार्ट अटैक के रिस्क को प्राकृतिक रूप से कम किया जा सकता है।
किस तरह करें ब्रीदिंग एक्सरसाइज?
4-7-8 ब्रीदिंग टेक्निक, जिसे डायाफ्रामिक ब्रीदिंग या रिलैक्सेशन ब्रीदिंग भी कहा जाता है, तनाव को कम करने और नींद की गुणवत्ता को सुधारने में बेहद असरदार मानी जाती है। यह तकनीक नर्वस सिस्टम को शांत करती है और हार्ट को आराम की स्थिति में लाती है।
इस प्रक्रिया में तीन चरण होते हैं:
- 4 सेकेंड तक धीरे-धीरे नाक से गहरी सांस लें
- 7 सेकेंड तक सांस को रोककर रखें
- 8 सेकेंड तक मुंह से धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ें
इस तकनीक को सोने से ठीक पहले, शांत वातावरण में, बैठकर या लेटकर अपनाना चाहिए। इसका अभ्यास दिन में दो बार करने से तनाव, एंग्जायटी, और नींद न आने की समस्या में भी राहत मिल सकती है।
इस ब्रीदिंग को करते समय ध्यान रखें:
- शुरुआत में 3 से 5 राउंड करें, बाद में इसे बढ़ाकर 10 राउंड तक ले जा सकते हैं
- सांस लेने और छोड़ने की गति बहुत तेज़ न हो — यह एक सहज, धीमी और नियंत्रित प्रक्रिया होनी चाहिए
- इस दौरान आंखें बंद रखें और मन को शांत रखें
- ब्रीदिंग पर फोकस करने के लिए आप बैकग्राउंड में हल्का म्यूजिक या मेडिटेशन बीट्स भी चला सकते हैं
डाइट का इस तरह रखें ध्यान
स्वस्थ दिल के लिए संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेना बेहद ज़रूरी है। गलत खानपान न केवल वजन बढ़ाता है, बल्कि ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल को बिगाड़कर हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ा देता है। इसलिए जरूरी है कि डेली डाइट में कुछ स्मार्ट बदलाव किए जाएं।
इन चीजों को कम करें:
सेचुरेटेड और ट्रांस फैट्स: ये धमनियों को ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है। इन्हें बेक्ड बिस्किट्स, केक, पिज़्ज़ा, फ्रेंच फ्राइज़, और पैकेज्ड स्नैक्स में अक्सर पाया जाता है।
अतिरिक्त नमक: ज्यादा नमक हाई ब्लड प्रेशर की बड़ी वजह होता है, जो दिल पर असर डालता है।
शुगर और रिफाइंड कार्ब्स: ये मोटापा, इंसुलिन रेसिस्टेंस और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से जुड़े होते हैं।
इन हेल्दी विकल्पों को अपनाएं:
रेनबो डाइट: हर दिन रंग-बिरंगे फल और सब्ज़ियाँ जैसे गाजर, टमाटर, पालक, ब्रोकली, अंगूर, जामुन, और पपीता शामिल करें। इनमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स भरपूर होते हैं जो दिल की सुरक्षा करते हैं।
होल ग्रेन्स: व्हाइट ब्रेड और मैदे की जगह ब्राउन ब्रेड, ब्राउन राइस, ओट्स, बाजरा और ज्वार को चुनें। ये कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और ब्लड शुगर स्टेबल रखते हैं।
गुड फैट्स: जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, जो कि सालमन, टूना, चिया सीड्स, अखरोट और फ्लैक्ससीड में पाए जाते हैं — ये हार्ट को सूजन से बचाते हैं और धमनियों को साफ रखते हैं।
प्रोटीन स्रोत: उबली दालें, राजमा, छोले, अंडा सफेदी, टोफू और लो-फैट पनीर भी हार्ट फ्रेंडली प्रोटीन के अच्छे विकल्प हैं।
हाइड्रेशन: दिनभर में पर्याप्त पानी पीना, फलों का ताजा रस (बिना चीनी के), और हर्बल चाय जैसे विकल्प ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाते हैं।
लाइफस्टाइल टिप्स भी ज़रूरी हैं:
खाने में भागदौड़ न करें: भोजन को शांति से और चबाकर खाएं, ताकि पाचन बेहतर हो और हार्ट पर बोझ न पड़े।
डिनर हल्का और जल्दी करें: देर रात भारी खाना नींद को खराब करता है और मेटाबॉलिक सिस्टम पर दबाव डालता है।
साप्ताहिक चीट डे रखें, लेकिन संतुलित: मनपसंद चीजें कभी-कभार खाना ठीक है, लेकिन मात्रा और फ्रीक्वेंसी पर ध्यान रखें।
साथ ही यह भी करें:
- हर 3 से 6 महीने में ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर टेस्ट कराएं, ताकि समय रहते जरूरी कदम उठाए जा सकें।
- यदि कोई फैमिली हिस्ट्री है हार्ट डिज़ीज़ की, तो डाइट और लाइफस्टाइल में पहले से ही सतर्कता ज़रूरी है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सुझाव को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।