डायबिटीज से लेकर कैंसर तक, आंखें खोलती हैं इन 6 गंभीर बीमारियों का राज
By: Priyanka Maheshwari Fri, 13 May 2022 10:30:15
आंखे आपकी सेहत के बारे में भी बहुत कुछ बताती हैं। आंखों के बदलते रंग से आप आसानी से पता लगा सकते है कि आपको कौनसी बीमारी होने वाली है। आप जितनी जल्दी इनकी पहचान कर लेंगे, उतनी जल्दी किसी बीमारी को गंभीर होने से रोक सकेंगे। तो आइए जानते हैं कि आंखों के जरिए किस तरह सेहत का हाल जाना जा सकता है।
डायबिटीज
आंखों से धुंधला दिखाई देना Type 2 डायबिटीज के संकेत हो सकते है। बढ़ा हुआ ब्लड शुगर नसों पर दबाव डालता है। इसकी वजह से आंखों के पिछले हिस्से में खून के धब्बे से दिखाई देते हैं। इन खून के धब्बों का मतलब है कि आपका ब्लड शुगर लेवल खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है और आपको इसको तुरंत कम करने के बारे में सोचना चाहिए। अगर ब्लड शुगर के इस स्तर पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो इससे आंखों की रोशनी खोने का डर बना रहता है।
कैंसर
ब्रेस्ट कैंसर के भी लक्षण आंखों में नजर आ सकते है। जब कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित करने लगती हैं, तो इसका असर आंखों पर पड़ने लगता है। यूविया (आंखों के बीच की परत) ये संकेत देती है कि कैंसर कोशिकाएं आपकी आंखों में भी फैल चुकी हैं। अगर आपको धुंधली नजर, आंखों में दर्द, या फ्लैश जैसी समस्याएं महसूस होती हैं तो ऐसी स्तिथि में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
हाई कोलेस्ट्रॉल
खून में बढ़ा कोलेस्ट्रॉल धीरे-धीरे आंखों में जमा होने लगता है। जिसके बाद आपकी आंखों की पुतली के चारों ओर एक सफेद या नीले रंग का रिंग बनने लगता है। हालांकि कई मामलों में ये बढ़ती उम्र की भी निशानी है लेकिन इसका एक अन्य कारण हाई कोलेस्ट्रॉल भी है। आगर आपको कोई ऐसा लक्षण नजर आता है तो अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर कराएं। ये दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकता है।
खराब रेटिना
रेटिना के आसपास छोटे-छोटे धब्बे जैसे निशान को आई फ्लोटर्स कहते हैं। ये बहुत सामान्य है और हर कोई इसे महसूस कर सकता है लेकिन इन फ्लोटर्स की बढ़ती संख्या रेटिनल टियर यानी इसके अलग होने का संकेत देती है। इस संकेत को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि एक समय के बाद ये आपकी आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इंफेक्शन
कॉर्निया पर दिखाई देने वाला सफेद धब्बा कॉर्नियल इंफेक्शन का संकेत हो सकता है। यह ज्यादातर उन लोगों में देखा जाता है जो चश्मे के बजाय कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करते हैं। लेंस में बैक्टीरिया आसानी से लग जाते हैं और इनकी वजह से इंफेक्शन फैल जाता है। इसकी वजहे से कॉर्नियल स्कारिंग और दर्द हो सकता है।
पीलिया
आंखों का सफेद भाग पीला हो जाए तो ये पीलिया का संकेत हो सकता है। पीलिया तब होता है, जब शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ बहुत अधिक हो जाता है। बिलीरुबिन की अत्यधिक मात्रा होने से लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और इससे लिवर के काम करने की क्षमता कमजोर पड़ जाती हैं। बिलीरुबिन धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाता हैं जिससे व्यक्ति को पीलिया रोग हो जाता है। ऐसी स्थित में यूरीन और स्किन भी पीली होने लगती है।
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