निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी लॉन्ग कोविड के मरीजों में दिख रहे 200 से ज्यादा लक्षण, 56 देशों के मरीजों पर हुई रिसर्च
By: Priyanka Maheshwari Sat, 17 July 2021 5:33:10
लॉन्ग कोविड से जूझने वाले मरीजों पर बीमारी के असर को लेकर नई रिसर्च सामने आई है। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद जिन मरीजों में लक्षण दिखते रहे हैं, वैज्ञानिकों ने उन पर स्टडी की। इनमें लॉन्ग कोविड से जूझने वाले 56 देशों के 3,762 मरीजों से बात की गई। रिसर्च के मुताबिक, ऐसे मरीजों में 10 अंगों से जुड़े 200 से ज्यादा लक्षण दिख सकते हैं।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन ने अपनी रिसर्च के दौरान कोविड से उबर चुके मरीजों में दिखने वाले 203 में से 66 लक्षणों पर 7 महीने तक नजर रखी। सभी मरीज 18 साल और इससे ज्यादा उम्र के थे और उनसे कोविड से जुड़े 257 सवाल पूछे गए थे।
लॉन्ग कोविड क्या है?
आसान भाषा में समझे तो लॉन्ग कोविड का मतलब है कि शरीर से वायरस जाने के बाद भी कुछ न कुछ लक्षण दिखते रहना। कोविड-19 के जिन मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है, उन्हें महीनों बाद भी समस्याएं हो रही हैं। कोविड-19 से उबरने के बाद भी लक्षणों का लंबे समय तक बने रहना ही लॉन्ग कोविड है।
पोस्ट कोविड लक्षण
- थका
- बेचैनी
- सोचने-समझने की क्षमता घटना
- कंपकंपी
- खुजली
- महिलाओं के पीरियड्स में बदलाव
- सेक्सुअल डिस्फंक्शन
- हार्ट पेल्पिटेशन
- यूरिन स्टोर करने वाले ब्लैडर को कंट्रोल न कर पाना
- याददाश्त घटना
- धुंधला दिखना
- डायरिया
- कानों में आवाजें सुनाई देना
-दाद
दिल-सांस के अलावा दूसरी जांचें भी जरूरी
लॉन्ग कोविड के मामलों में दिल और सांस से जुड़ी जांचों के अलावा न्यूरोसायकियाट्रिक और न्यूरोलॉजिकल लक्षणों को देखने की भी जरूरत है। जितनी तरह के लक्षण मरीजों में दिख रहे हैं, वे शरीर के कई अंगों पर बुरा असर डाल सकते हैं। इनके कारणों का पता लगाकर ही मरीजों का सही इलाज किया जा सकता है।
35 हफ्तों के बाद भी दिख सकते है लक्षण
अभी तक हुई रिसर्च में पता चला है कि लॉन्ग कोविड के मामले में लक्षण 35 हफ्तों के बाद तक दिखना जारी रह सकते हैं। ऐसा होने का खतरा 91.8% तक रहता है। रिसर्च में शामिल हुए 3,762 मरीजों में से 3,608 यानी करीब 96% मरीजों में ऐसे लक्षण 90 दिन के बाद भी दिखते रहे थे। वहीं, 65% मरीज ऐसे भी थे, जिनमें लक्षण 180 दिन तक दिखाई दिए थे।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की न्यूरोसाइंटिस्ट एथेना अक्रमी कहती हैं कि ऐसे मरीजों में आगे कितनी तरह के लक्षण दिखेंगे, इसकी बहुत कम जानकारी मिल पाई है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जैसे-जैसे समय बीतता है, लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते हैं। ये कितनी गंभीर होंगे और इनका रोजमर्रा की जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा, इसका पता भी बाद में ही चलता है।
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