कृषि कानून वापस नहीं लेगी सरकार, 3 बड़े बदलाव करने को तैयार, जानिए फिर कहां अटका पेच

By: Pinki Wed, 09 Dec 2020 11:12:43

कृषि कानून वापस नहीं लेगी सरकार, 3 बड़े बदलाव करने को तैयार, जानिए फिर कहां अटका पेच

किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। मंगलवार को भारत बंद बुलाया गया, जिसे राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया। लेकिन शाम होते-होते तस्वीर बदलती दिखी, किसान नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कुछ किसान नेताओं के बीच मंगलवार की रात हुई बैठक विफल रहने के बाद सरकार और किसान यूनियनों के बीच बुधवार को प्रस्तावित छठे दौर की वार्ता अधर में लटक गई है। सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया कि कृषि कानून वापस नहीं होंगे। हालांकि, सरकार कानून में कुछ संशोधन करने पर राजी होती दिख रही है। लेकिन किसान यह नहीं चाहते। उनका कहना है कि सभी कानून वापस लिए जाएं।

शाह और किसान नेताओं की बैठक में क्या हुआ?

सरकार की ओर से बुधवार की वार्ता के संबंध में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है लेकिन शाह के साथ हुई बैठक के बाद कुछ किसान नेताओं ने कहा कि प्रस्तावित बैठक में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता। किसान नेताओं के मुताबिक, सरकार कृषि कानून वापस ना लेने पर अड़ी है और संशोधनों के साथ लिखित प्रस्ताव देने की बात कह रही है। बुधवार को ही सरकार प्रस्ताव देगी, जिसपर किसान मंथन करेंगे। अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा, 'शाह जी ने कहा कि सरकार जिन संशोधनों के पक्ष में हैं उन्हें बुधवार को लिखित में देगी। हम लिखित संशोधनों को लेकर सभी 40 किसान यूनियनों से चर्चा करने के बाद बैठक में शामिल होने के बारे में फैसला लेंगे।'

कृषि कानून वापसी की मांग


वहीं किसानों ने मंगलवार को कृषि कानूनों के विरोध में भारत बंद का आह्वान किया था। इसमें किसानों ट्रेड यूनियनों, अन्य संगठनों और कांग्रेस सहित 24 विपक्षी दलों का समर्थन मिला था। वहीं सरकार और किसानों के बीच हुई पांच दौर की वार्ता में कोई सफलता नहीं मिली थी। सरकार कानूनों में संशोधन की इच्छा जता चुकी है और कई तरह के आश्वासन भी दे चुकी है, लेकिन किसान संगठन नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं।

किन संशोधनों पर मान रही है सरकार?

- सरकार कृषि कानून में संशोधन करके उन्‍हें किसी भी परेशानी में कोर्ट जाने की इजाजत दे सकती है। मौजूदा कानून में ऐसा नहीं है।

- किसान पंजीकरण व्‍यवस्‍था की मांग कर रहे हैं। जबकि प्राइवेट प्‍लेयर पैन कार्ड का इस्‍तेमाल करते हैं। सरकार द्वारा किसानों की यह मांग मानी जा सकती है।

- न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी एमएसपी यानी को लेकर किसान नेताओं का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को हुई बैठक में एमएसपी MSP प्रणाली और मंडी सिस्‍टम में किसानों के अनुसार कुछ बदलाव की बात कही है।

किसानों ने उठाई हैं ये मांगें

किसान नेता हनन मुल्ला ने बैठक के बाद बताया कि सरकार ने कहा है कि कृषि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे लेकिन उनमें कुछ संशोधन किए जा सकते हैं। किसान इन कानूनों की वापसी पर अड़े हैं। संशोधन के मुद्दे पर किसान नेताओं का कहना है कि अगर इन कानून में संशोधन होता है तो उसकी रूपरेखा बदल जाएगी।

किसानों ने सरकार के साथ पिछले कई दौर की बातचीत में बिंदुवार खामियां गिनाई हैं, ऐसे में किसानों का कहना है कि जिस कानून में इतनी संशोधन की जरूरत हो, हर कानून में लगभग 8 से 10 गलतियां हों तो उसका औचित्य क्या रह जाता है। किसानों को कानून की शब्दावली से भी दिक्कत है, जो किसानों के लिए परेशानी पैदा कर रही है। ।

किसान मांग कर रहे हैं कि एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाया जाए। सरकार इस पर भरोसा दे रही है कि एमएसपी आगे भी जारी रहेगी। किसान यह भी मांग कर रहे हैं कि मंडी सिस्टम खत्म ना किया जाए। उनका कहना है कि मंडियों में आढ़तियों के साथ जैसा काम कंपनियों के साथ किसान नहीं कर सकता।

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