आम बजट से निराश हुए बुंदेलखंड के किसान

By: Priyanka Maheshwari Thu, 01 Feb 2018 7:57:54

आम बजट से निराश हुए बुंदेलखंड के किसान

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा गुरुवार को लोकसभा में पेश किए गए आम बजट में प्राकृतिक आपदा का दंश झेल रहे बुंदेलखंड के लिए कोई 'खास' घोषणाएं न किए जाने से यहां का किसान वर्ग बेहद निराश हुआ है। किसानों को उम्मीद थी कि मोदी सरकार के इस अंतिम आम बजट में खाद-बीज सस्ता करने, सिंचाई व्यवस्था के लिए अलग से प्रावधान के अलावा अन्ना मवेशियों से छुटकारा दिलाने की घोषणा की जाएगी, मगर ऐसा हुआ नहीं।

पिछले तीन दशकों से उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के किसान प्राकृतिक आपदा का दंश झेलते आ रहे हैं। यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति महाराष्ट्र के विदर्भ से भी ज्यादा बदतर है। 'कर्ज' और 'मर्ज' की दोहरी मार से जूझ रहे किसान रोजाना सैकड़ों की तादाद में पलायन कर रहे हैं।

किसानों को उम्मीद थी कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार अपने अंतिम आम बजट में खाद-बीज को सस्ता करने, सिंचाई संसाधनों की अलग से व्यवस्था और आपदा बन चुके अन्ना (आवारा) मवेशियों से निजात दिलाने की कोई 'खास' घोषणा के अलावा पूर्ण कर्जमाफी की सौगात दी जाएगी, लेकिन आम बजट में ऐसा न होने पर किसान बेहद निराश हुआ है।

बांदा जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष और किसान नेता कृष्ण कुमार भारतीय ने कहा, "यहां अन्ना मवेशी किसी प्राकृतिक आपदा से कम नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने भी अपने झांसी दौरे में इससे निजात दिलाने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। उम्मीद थी कि केंद्र सरकार के अंतिम आम बजट में बुंदेखंड के किसानों के लिए वित्तमंत्री कुछ खास सौगात देंगे, मगर उम्मीदों पर पानी फिर गया।"

भारतीय किसान यूनियन के मंडल महाचिव ध्रुव सिंह तोमर का कहना है, "किसान हर साल कर्ज लेकर खेत में बीज की बुआई करता है। मंहगी खाद व पानी के अलावा कभी सूखा तो कभी ज्यादा बारिश से फसल चौपट हो जाती है, ऐसे में यहां का किसान कंगाल हो चुका है। उम्मीद थी कि इस आम बजट में किसानों का संपूर्ण कर्ज माफ करने की घोषणा की जाएगी, लेकिन निराशा हाथ लगी है।"

बांदा जिले के तेंदुरा गांव के मध्यमवर्गीय किसान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साढू रामलगन सिंह ने कहा, "हालत तो यह है कि बड़ा काश्तकार होने के बावजूद मुझे सहकारी समितियों से कर्ज लेना पड़ा। मैंने कर्ज लेकर बीज की बुआई की थी। इस बजट में कुछ खास व्यवस्था की उम्मीद थी, लेकिन केंद्र सरकार ने सिर्फ झुनझुना पकड़ा दिया है।"

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