गोवर्धन पूजा या परिक्रमा के दौरान भूलकर कर भी न करें ये 5 अशुभ काम, वरना परिणाम...

By: Pinki Mon, 28 Oct 2019 10:19:32

गोवर्धन पूजा या परिक्रमा के दौरान भूलकर कर भी  न करें ये 5 अशुभ काम, वरना परिणाम...

दिवाली (Diwali) के अगले दिन गोवर्धन पूजा (Goverdhan Puja) की जाती है। दिवाली के पांच दिवसीय त्योहार में से एक गोवर्धन पूजा भी है और इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन प्रकृति के आधार के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा होती है। इस पूजा की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण ने की थी। गोवर्धन पूजा वैसे तो पूरे भारत में ही श्रद्धा के साथ मनाते हैं लेकिन उत्तर भारत में विशेषतया मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना आदि जगहों पर इस पर्व की महत्ता अधिक है। मान्यतानुसार, यहां स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल के लोगों को गोवर्धन पूजा की प्रेरणा दी थी और देवराज इंद्र के अहंकार समाप्त किया था। अगर आप भी गोवर्धन पूजा करते हैं और परिक्रमा पर जाते हैं तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की जरुरत है...

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- सबसे पहली और जरुरी बात गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन बंद कमरे में न करें। अगर आप गायों की पूजा करते है तो अपने ईष्टदेव या भगवान कृष्ण की पूजा करना न भूलें।

- गंदे कपड़े कभी भी पहनकर परिक्रमा न करें। गोवर्धन परिक्रमा में पहने गए कपड़े साफ व शुद्ध होने चाहिए।

- पूरा परिवार एक साथ मिलकर पूजा-अर्चना करें। पूजा में शामिल लोग काले लंग के पड़े न पहनें। हल्के पीले या नारंगी रंग के वस्त्र पहनें तो उत्तम रहेगा। गोवर्धन पूजा के समय गाय, पौधों, जीव जंतु आदि को भूलकर भी न सताएं और न ही कोई नुकसान पहुंचाएं।

- परिक्रमा करते समय जूते, चप्पल न पहनें। अगर कोई व्यक्ति कमजोर हो या फिर कोई छोटा बच्चा साथ में हो तो रबड़ की चप्पल या फिर कपड़े के जूते प्रयोग किए जा सकते हैं।

- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय किसी भी प्रकार का धूम्रपान या कोई भी नशीली वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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गोवर्धन पूजा करने का सही तरीका

– गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसे फूलों से सजाते हैं। गोवर्धन पूजा सुबह या सायंकाल के समय की जाती है।

– पूजा करते वक्त गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाएं।

– गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीया रख दिया जाता है। इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में ये सब प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

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