
करीब दो सप्ताह के भावुक इंतजार के बाद, ईरान अब अपने उन जांबाज टॉप कमांडरों के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई देने जा रहा है, जिन्होंने इजरायली हमलों में जान गंवाई थी। 13 जून को जब इजरायल ने ईरान पर मिसाइलें दागीं, तो न्यूक्लियर ठिकानों समेत कई अहम जगहें ध्वस्त हो गईं। इस दिल दहला देने वाले हमले में 20 उच्च सैन्य अधिकारी और कुछ परमाणु वैज्ञानिकों की जान चली गई थी। इनकी शवयात्रा सीजफायर के बाद निकाली जाएगी और फिर उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। ईरान की प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी IRNA ने इस भावुक क्षण की जानकारी दी है।
माना जा रहा है कि यह शोकाकुल मौका जनसैलाब में तब्दील हो सकता है, क्योंकि अतीत में जब भी ईरान के लिए कोई बड़ी शख्सियत शहीद हुई है, तो हजारों की भीड़ अंतिम दर्शन को उमड़ी है।
इजरायली हमले में मारे गए क्रांतिकारी गार्ड्स के चीफ हुसैन सलामी की बात करें, तो वे अयातुल्लाह खामेनेई के बेहद करीबी माने जाते थे। उनके पास खामेनेई की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी थी। रिवॉलूशनरी गार्ड्स की स्थापना ही सर्वोच्च नेता की सुरक्षा के लिए की गई थी, ऐसे में इसके प्रमुख का महत्व अत्यधिक होता है। सरकार ने घोषणा की है कि शनिवार सुबह 8 बजे सभी शहीदों को श्रद्धांजलि के साथ दफन किया जाएगा।
हुसैन सलामी के पार्थिव शरीर को एक दिन पहले, गुरुवार को ही मिट्टी में दफनाया जाएगा। इजरायली हमले ने सिर्फ सैन्य ठिकानों को ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों के घरों को भी निशाना बनाया। ईरानी एजेंसियों के अनुसार इन हमलों में 600 नागरिकों की जान चली गई, जबकि 4,700 से अधिक लोग घायल हुए। वहीं, जवाबी कार्रवाई में ईरान ने भी इजरायल में 28 लोगों की जान ली।
जासूसी के आरोप में तीन कैदियों को मिली फांसी
इस सबके बीच, ईरान ने अपने देश के विश्वासघात के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए तीन आरोपियों को फांसी पर लटका दिया, जिन पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप था। उन्हें पश्चिम अजरबैजान प्रांत की उरमिया जेल में सजा दी गई। इससे पहले भी ऐसे मामलों में ईरान द्वारा कठोर कार्रवाई की जाती रही है।














