
कंबोडिया से सामने आई एक घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। आरोप है कि थाई सेना द्वारा एक हिंदू देवता, भगवान विष्णु की प्रतिमा को ध्वस्त किया गया। इस मामले पर भारत ने बुधवार (24 दिसंबर) को तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसकी कड़े शब्दों में निंदा की। नई दिल्ली ने स्पष्ट कहा कि इस तरह के अपमानजनक कृत्य न केवल धार्मिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि दुनिया भर में बसे हिंदू भक्तों की आस्था और भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाते हैं। भारत ने जोर देकर कहा कि ऐसे कृत्य किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हैं।
विदेश मंत्रालय का बयान, साझा विरासत की दिलाई याद
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हाल ही में एक हिंदू देवता की प्रतिमा को ध्वस्त किए जाने की खबरें सामने आई हैं, जो थाईलैंड और कंबोडिया के सीमा विवाद से प्रभावित इलाके में स्थित थी। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लोग सदियों से हिंदू और बौद्ध देवी-देवताओं को अत्यंत श्रद्धा के साथ पूजते आए हैं। यहां धार्मिक प्रतीक लोगों की आस्था और सांस्कृतिक पहचान का अहम हिस्सा हैं। जायसवाल ने यह भी रेखांकित किया कि ये स्थल और प्रतिमाएं हमारी साझा सभ्यतागत और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक हैं, जिनका सम्मान किया जाना चाहिए।
भारत की शांति और संवाद की अपील
भारत ने थाईलैंड और कंबोडिया—दोनों देशों से संयम बरतने और हालात को और बिगड़ने से रोकने की अपील की है। नई दिल्ली ने कहा कि सीमा विवाद के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों का रास्ता अपनाया जाना चाहिए, ताकि जान-माल के नुकसान से बचा जा सके। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच झड़पें जुलाई में शुरू हुई थीं और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से युद्धविराम की घोषणा के बावजूद इस महीने फिर से तनाव बढ़ गया। इस बीच सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें बैकहो लोडर की मदद से भगवान विष्णु की प्रतिमा को गिराते हुए देखा जा सकता है।
कहां स्थित थी विष्णु प्रतिमा, कैसे हुई तोड़फोड़
समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेह विहार के प्रवक्ता लिम चानपन्हा ने बताया कि यह प्रतिमा कंबोडिया के आन सेस क्षेत्र में स्थापित थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में निर्मित भगवान विष्णु की यह प्रतिमा थाईलैंड की सीमा से लगभग 100 मीटर (करीब 328 फीट) की दूरी पर स्थित थी, जिसे सोमवार (22 दिसंबर) को ध्वस्त कर दिया गया। चानपन्हा ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि बौद्ध और हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा पूजे जाने वाले प्राचीन मंदिरों और धार्मिक प्रतिमाओं के साथ किसी भी तरह की तोड़फोड़ अस्वीकार्य है और यह धार्मिक सौहार्द के खिलाफ है।












