नागपुर। महाराष्ट्र के नागपुर की रहने वाली 43 वर्षीय सुनीता जामगड़े हाल ही में भारत-पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर पाकिस्तान चली गई थीं। यह घटना न केवल उनकी निजी जिंदगी की जटिलताओं को उजागर करती है, बल्कि सीमा सुरक्षा और साइबर-भावनात्मक प्रभाव जैसे गंभीर मुद्दों की भी ओर संकेत करती है। फिलहाल, सुनीता अमृतसर पुलिस की कस्टडी में हैं और उनसे गहन पूछताछ की जा रही है।
चैटिंग से शुरू हुआ सिलसिला, सरहद तक पहुंचा
सूत्रों के मुताबिक, सुनीता पिछले कुछ समय से पाकिस्तान के एक व्यक्ति के साथ ऑनलाइन चैटिंग कर रही थीं। वह पेशे से एक घरेलू सहायिका हैं और अपनी मां व 13 वर्षीय बेटे के साथ नागपुर में रहती थीं।
4 मई को सुनीता घर से यह कहकर निकली थी कि उन्हें किसी कानूनी काम से अमृतसर जाना है। साथ में उनका बेटा भी था। वे कारगिल होते हुए लद्दाख के हुंदरमान गांव पहुंचीं, जो नियंत्रण रेखा के बेहद करीब स्थित है।
14 मई को अचानक लापता, बेटा होटल में अकेला मिला
9 मई को होटल में चेक-इन करने के बाद 14 मई को सुनीता अचानक लापता हो गईं। होटल स्टाफ को जब इस बात का अंदेशा हुआ, तो उनके बेटे को स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस को सौंप दिया गया। यहीं से पूरे मामले की जांच शुरू हुई और यह सामने आया कि महिला ने LOC पार कर ली है।
सीमा पार, सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता
सुनीता की पाकिस्तान में गिरफ्तारी के बाद वहां की सुरक्षा एजेंसियों ने उनसे पूछताछ की। आश्चर्यजनक रूप से, किसी गंभीर गतिविधि में संलिप्तता नहीं मिलने पर उन्हें अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) को सौंप दिया गया। बीएसएफ ने प्रारंभिक पूछताछ के बाद उन्हें अमृतसर पुलिस को हैंडओवर कर दिया।
क्या यह सिर्फ भावनात्मक बहाव था या कोई गहरी साजिश?
नागपुर पुलिस के डीसीपी (जोन 5) निकेतन कदम के अनुसार, एक टीम अमृतसर भेजी गई है, जिसमें एक वरिष्ठ अधिकारी और दो महिला पुलिसकर्मी शामिल हैं। वे सुनीता को नागपुर लाकर विस्तृत पूछताछ करेंगे। पुलिस को आशंका है कि यह घटना केवल एक भावनात्मक भूल नहीं, बल्कि संभावित साइबर-प्रलोभन या जासूसी गतिविधियों से भी जुड़ी हो सकती है।
13 वर्षीय बेटा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की कस्टडी में
सुनीता का बेटा, जो इस पूरी घटना का मौन साक्षी रहा, अभी बाल कल्याण समिति (CWC) की देखरेख में है। आगे उसकी काउंसलिंग की जाएगी ताकि घटना के मानसिक प्रभाव को समझा जा सके।
सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती
भारत-पाकिस्तान सीमा पर इस तरह का कोई भी ‘निजी यात्रा’ मामला राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन जाता है। विशेष रूप से तब, जब डिजिटल माध्यम से दूसरे देश के नागरिक से संपर्क बनाकर, कोई महिला जागरूकता के अभाव में सरहद पार कर जाती है।
यह घटना साइबर-जाल में फंसने, भावनात्मक शोषण और सीमा पार रोमांस जैसे विषयों पर भी नए सवाल खड़े करती है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि:
—क्या सुनीता पाकिस्तान में किसी मिशन या मकसद से गई थीं?
—क्या यह महज भावनात्मक छलावे का मामला था या सोची-समझी योजना?
नागपुर पहुंचने के बाद उनसे कई राउंड की पूछताछ होगी, जिसमें केंद्रीय एजेंसियां भी शामिल हो सकती हैं।
यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत निर्णय की परिणति है, बल्कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था, डिजिटल जिम्मेदारी और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। सुनीता जामगड़े की वापसी के साथ एक गहरी जांच शुरू हो चुकी है, और यह मामला आने वाले समय में साइबर-जागरूकता अभियान का कारण भी बन सकता है।