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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर एक विवादित कार्टून सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को सोमवार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने उनके व्यवहार को "अपरिपक्व और भड़काऊ" करार दिया। इसके बाद मालवीय की ओर से पेश अधिवक्ता ने विवादित पोस्ट को हटाने पर सहमति दी और अंतरिम राहत की मांग की।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ के समक्ष आया जिसमें जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार शामिल थे। हेमंत मालवीय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने दलील दी कि उनका मुवक्किल 50 वर्षीय एक व्यक्ति है, जो केवल एक कार्टूनिस्ट है और उसे मध्यप्रदेश हाई कोर्ट द्वारा अग्रिम ज़मानत से इनकार कर दिया गया है। साथ ही पुलिस उनके घर के दरवाज़े पर दस्तक दे रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मुवक्किल विवादित टिप्पणियों का समर्थन नहीं करता है और पोस्ट किए गए कार्टून को हटाने के लिए तैयार है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: "यह स्पष्ट रूप से दुरुपयोग है"
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति धूलिया ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “चाहे हम इस मामले में कुछ भी करें, लेकिन यह निश्चित रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग का उदाहरण है।” पीठ ने यह भी जोड़ा कि भले ही पोस्ट हास्यात्मक प्रतीत हो, लेकिन इसमें भड़काऊ तत्व हैं और यह किसी भी तरह से परिपक्व अभिव्यक्ति नहीं कही जा सकती।
राज्य की ओर से विरोध: बार-बार हो रहा ऐसा कृत्य
मध्यप्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कोर्ट को बताया कि इस तरह की आपत्तिजनक गतिविधियां कार्टूनिस्ट द्वारा पहले भी की गई हैं और बार-बार की जा रही हैं, जिससे समाज में असंतुलन और धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।
गौरतलब है कि मई महीने में इंदौर के लसूड़िया थाने में मालवीय के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह शिकायत स्थानीय वकील और RSS कार्यकर्ता विनय जोशी द्वारा की गई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि मालवीय ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री साझा कर हिंदू धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास किया है।
हाई कोर्ट पहले ही कर चुका है फटकार
मालवीय को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने 3 जुलाई को अग्रिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि यह कृत्य "अनुच्छेद 19(1)(a)" के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का घोर दुरुपयोग है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि कार्टून में प्रधानमंत्री और RSS जैसी संस्था को साथ दिखाते हुए भगवान शिव के नाम को भी घसीटना एक अशोभनीय और अपमानजनक कृत्य है।
मालवीय की ओर से दलील दी गई कि उन्होंने केवल एक कार्टून पोस्ट किया था और उस पर अन्य फेसबुक यूज़र्स की टिप्पणियों के लिए उन्हें ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया और पोस्ट की भड़काऊ प्रकृति को लेकर अपनी असहमति स्पष्ट की।
अगली सुनवाई मंगलवार को
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई मंगलवार 15 जुलाई के लिए निर्धारित कर दी है। इस दौरान अंतरिम राहत और अंतिम निर्णय को लेकर सुनवाई जारी रहेगी।














