
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पहली बार किस्मत आज़माने उतरी जन सुराज पार्टी जनता का विश्वास हासिल करने में नाकाम रही है। परिणामों की घोषणा के बाद पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता पवन के. वर्मा ने साफ कहा कि जनादेश पार्टी के पक्ष में नहीं रहा और अब संगठन गहराई से पराजय के कारणों की समीक्षा करेगा। बड़े पैमाने पर प्रचार, गांव-गांव पहुंचने के अभियान और ‘अर्श या फर्श’ जैसी ऊँची उम्मीदों के बावजूद पार्टी जनता के बीच बड़ा असर नहीं छोड़ पाई। इस बीच, एनडीए पूरे राज्य में भारी बहुमत के साथ आगे बढ़ रहा है और विपक्ष का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक दिख रहा है।
नतीजों की तस्वीर: एनडीए का दबदबा, विपक्ष सिमटा
नवीनतम रुझानों से साफ है कि बिहार की लड़ाई में एनडीए ने लगभग एकतरफा बढ़त बनाई है। गठबंधन 190 से अधिक सीटों पर आगे है, जबकि इंडिया गठबंधन 40 सीटों के आंकड़े के करीब भी नहीं पहुँच पा रहा।
एनडीए की स्थिति इस प्रकार है—
बीजेपी: 91 सीटों पर बढ़त
जेडीयू: 78 सीटों पर आगे
एलजेपी (रामविलास): 22 सीटें
एचएएम (सेक्युलर): 5 सीटें
वहीं महागठबंधन में—
आरजेडी: 28 सीटों पर आगे
कांग्रेस: 4 सीटें
भाकपा (माले): 3 सीटों पर बढ़त
इसके अलावा—
BSP: 1 सीट
AIMIM: 5 सीटें
राष्ट्रीय लोक मोर्चा: 4 सीटों पर आगे
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी किसी भी सीट पर निर्णायक बढ़त बनाने में सफल नहीं हो सकी और खाता खोलना भी मुश्किल होता दिख रहा है।
पवन वर्मा का बयान: “ईमानदार प्रयास, लेकिन जनता को नहीं भाया हमारा प्रस्ताव”
नतीजों के बाद पवन के. वर्मा ने कहा कि जन सुराज ने पूरी निष्ठा और मजबूत इरादों के साथ चुनाव में कदम रखा था, परंतु यदि जनता ने विश्वास नहीं जताया, तो पार्टी इसका विनम्रता से स्वीकार करते हुए समीक्षा करेगी।
पीटीआई को दिए बयान में उन्होंने कहा:
“हमारी कोशिशों में कोई कमी नहीं थी।”
“परिणाम उम्मीदों से मेल नहीं खाते।”
“इसके बावजूद हमने बेरोज़गारी, पलायन, शिक्षा संकट और भ्रष्टाचार जैसे अहम मुद्दों को चुनावी बहस के केंद्र में ला दिया है।”
वर्मा का मानना है कि भले ही चुनावी परिणाम निराशाजनक हों, लेकिन जन सुराज ने बिहार की राजनीति में नई ऊर्जा और नए मुद्दों की बहस को जन्म दिया है।
आगे की योजना और PK पर प्रतिक्रिया
आगामी रणनीति को लेकर वर्मा ने कहा कि चुनाव परिणामों के बाद पार्टी आंतरिक चर्चा करेगी और आगे की दिशा तय करेगी। उन्होंने माना कि नीतीश कुमार की स्वीकार्यता अभी भी काफी व्यापक है और जनता ने उन्हें फिर से भरोसे का मौका दिया है।
प्रशांत किशोर के कथित ‘बिहार छोड़ने’ की चर्चाओं पर वर्मा ने कहा:
“PK के जाने या रहने का निर्णय पूरी तरह व्यक्तिगत है।”
“लेकिन बिहार और PK का रिश्ता गहराई से जुड़ा है, दोनों एक-दूसरे से अलग नहीं हो सकते।”
उन्होंने बताया कि जब अंतिम परिणाम सामने आ जाएंगे, तब प्रशांत किशोर जनता और समर्थकों के लिए अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में विस्तृत बयान देंगे।














