
बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आज सामने आने वाले हैं। राज्य की 243 सीटों पर 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान हुआ था। आज सुबह 8 बजे से राज्य के 38 जिलों में स्थित 46 मतगणना केंद्रों पर वोटों की गिनती शुरू होगी। नतीजों से पहले राजनीतिक माहौल बेहद गर्म है और देशभर में यह उत्सुकता बनी हुई है कि बिहार में अगली सरकार किसकी बनेगी। इस बीच, छह ऐसी सीटें भी चर्चा में हैं, जिनकी जीत तय करती है कि पटना में किसकी सरकार आएगी।
1. मधुबनी की केवटी सीट
इस सूची में सबसे प्रमुख है मधुबनी जिले की केवटी विधानसभा सीट। 1977 से 2020 तक का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि यहां जिस पार्टी की जीत होती है, वही राज्य में सरकार बनाती है। 1977 में जनता पार्टी ने इस सीट से जीत दर्ज की थी और राज्य में जनता पार्टी की सरकार बनी। 1980 और 1985 में कांग्रेस की जीत हुई और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी। 2000 तक जनता दल और राजद ने इस सीट पर जीत हासिल की और सत्ता में शामिल हुए। 2005 और 2010 में भाजपा ने जीत दर्ज की और एनडीए की सरकार बनी। 2015 में राजद ने यह सीट जीती और राज्य में राजद-जदयू-कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी। 2020 में फिर से भाजपा ने यह सीट जीती। वर्तमान विधायक भाजपा के मुरारी मोहन झा हैं, जो इस बार फिर उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला राजद के फ़राज़ फ़ातमी से है।
2. सहरसा सीट
सहरसा विधानसभा सीट भी राज्य में सरकार तय करने वाली निर्णायक सीट रही है। 1977 से पहले कांग्रेस की जीत होती रही और सत्ता में कांग्रेस रही। 1977 में जनता पार्टी के शंकर प्रसाद टेकरीवाल जीते और जनता पार्टी सरकार बनी। 1980 और 1985 में फिर से कांग्रेस की जीत हुई। 1990 से 2000 तक जनता दल और राजद ने यहां जीत दर्ज की और राज्य में उसी पार्टी की सरकार बनी। 2005 और 2010 में भाजपा ने यहां जीत हासिल की। 2015 में राजद और 2020 में फिर से भाजपा ने जीत दर्ज की। वर्तमान विधायक भाजपा के आलोक रंजन झा हैं, जिनका मुकाबला महागठबंधन के इंद्रजीत गुप्ता से है।
3. मुजफ्फरपुर की सकरा सीट
मुजफ्फरपुर जिले की सकरा विधानसभा सीट का रिकॉर्ड भी इसी तरह है। 1977 के बाद से केवल 1985 में ही पैटर्न टूटा, जब लोकदल के शिवनंदन पासवान ने यह सीट जीती जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी। इसके अलावा, यह सीट हमेशा उसी पार्टी के पक्ष में रही, जो राज्य में सत्ता में आई। वर्तमान में यह सीट जदयू के पास है।
4. मुंगेर सीट
मुंगेर विधानसभा सीट पर भी केवल 1985 में उलटफेर हुआ था। लोकदल के उम्मीदवार ने जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने में सफल रही। वर्तमान में यह सीट भाजपा के प्रणय कुमार यादव के पास है।
5. पूर्वी चंपारण की पिपरा सीट
पिपरा विधानसभा सीट भी महत्वपूर्ण रही है। 2015 में केवल एक बार पैटर्न टूटा, जब भाजपा के श्यामबाबू प्रसाद यादव ने यह सीट जीती, जबकि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार बनी। वर्तमान विधायक श्यामबाबू प्रसाद यादव हैं और इस बार माकपा के राजमंगल प्रसाद के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
6. शेखपुरा की बरबीघा सीट
बरबीघा विधानसभा सीट भी इसी तरह का मानक रखती है। 1977 में जनता पार्टी और फिर 2000 तक कांग्रेस ने यहां जीत हासिल की। 2000 में कांग्रेस राज्य में राजद सरकार का हिस्सा बनी। 2015 में कांग्रेस के सुदर्शन कुमार ने जीत दर्ज की और 2020 में जदयू के उम्मीदवार ने यह सीट जीती।
ये छह सीटें बिहार की राजनीति में निर्णायक मानी जाती हैं। जो पार्टी इन सीटों पर जीत दर्ज करेगी, अक्सर वही राज्य में सरकार बनाने में सफल रहती है। इसलिए, नतीजों के दिन इन सीटों की खबर हर राजनीतिक विश्लेषक और जनता के लिए विशेष महत्व रखती है।














