महाकुंभ 2025: क्या विधवा महिलाएं भी बन सकती हैं नागा साधु? जानें इसके नियम और प्रक्रिया

By: Sandeep Gupta Wed, 15 Jan 2025 6:56:36

 महाकुंभ 2025: क्या विधवा महिलाएं भी बन सकती हैं नागा साधु? जानें इसके नियम और प्रक्रिया

प्रयागराज में 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। मकर संक्रांति के दिन, 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर शाही स्नान किया। महाकुंभ में लाखों की संख्या में नागा और अघोरी साधु-संत शामिल होते हैं, जिनमें पुरुषों की तरह महिलाएं भी नागा साधु बनती हैं। इस बार महाकुंभ में महिला नागा साधुओं की भी बड़ी संख्या पवित्र स्नान करने पहुंचीं। महिला नागा साधुओं के जीवन की कठिनाई और उनके कठोर नियमों के बारे में आप पहले ही पढ़ चुके होंगे, लेकिन एक सवाल जो अक्सर लोगों के मन में उठता है, वह है- क्या विधवा महिलाएं भी नागा साधु बन सकती हैं? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब और महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया के बारे में।

क्या विधवा महिला नागा साधु बन सकती है?

हां, विधवा महिलाएं भी नागा साधु बन सकती हैं। महिला नागा साधु बनने वाली महिलाओं में डॉक्टर, इंजीनियर, एक्ट्रेस जैसी महिलाएं भी शामिल हैं, लेकिन विधवा महिलाओं की संख्या इनमें अधिक होती है। नागा साधु बनने के लिए उन्हें विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है।

जूना संन्यासिन अखाड़े में विधवा महिलाओं की संख्या

भारत में विधवा महिलाएं आम तौर पर नागा साधु बनना पसंद करती हैं, खासकर नेपाल और अन्य देशों की विधवा महिलाएं। जूना संन्यासिन अखाड़े में लगभग तीन चौथाई विधवा महिलाएं हैं, जिनमें अधिकांश नेपाल से आती हैं। नेपाल में ऊंची जाति की विधवा महिलाओं के लिए दूसरी शादी करना समाज द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता, इस कारण वे घर लौटने की बजाय नागा साधु बन जाती हैं और जंगलों में निवास करती हैं।

महिला नागा साधुओं के लिए नियम

नागा साधुओं को आमतौर पर निर्वस्त्र रहना होता है, लेकिन महिला नागा साधुओं को नग्न रहने की इजाजत नहीं होती। उन्हें बिना सिला हुआ कपड़ा पहनना होता है, जिसे 'गंती' कहा जाता है। इसके अलावा, नागा साधु बनने के लिए किसी भी महिला को 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है।

विधवा महिला को नागा साधु बनने की प्रक्रिया

विधवा महिला को नागा साधु बनने के लिए संसारिक संबंधों को त्यागना होता है, चाहे वह अपने बच्चों से हो या किसी अन्य रिश्ते से। इसके बाद, उसे पिंडदान भी करना पड़ता है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि वह पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित हो चुकी है। महिला को हमेशा अपने माथे पर तिलक लगाना होता है। महिला गुरु से दीक्षा लेने के बाद ही महिला को नागा साधु बनने की अनुमति मिलती है। दीक्षा के बाद, गंगा स्नान कराना जाता है, और तब महिला को नागा साधु माना जाता है।

जब कोई महिला नागा साधु बन जाती है, तो उसका संसार से मोह समाप्त हो जाता है और वह खुद को पूरी तरह से ईश्वर के लिए समर्पित कर देती है।

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