पूर्व शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी, जो अब जितेंद्र नारायण त्यागी के नाम से जाने जाते हैं, ने महाकुंभ में मुस्लिम समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। मंगलवार को प्रयागराज में संगम में स्नान करने के बाद, उन्होंने मुस्लिमों से सनातन धर्म अपनाने की अपील की और इसे 'घर वापसी' बताया। abp न्यूज़ की खबर के अनुसार वसीम रिजवी ने कहा कि जो मुस्लिम परिवार सनातन धर्म को अपनाएंगे, उन्हें प्रति माह ₹3,000 की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि उनका संगठन इन परिवारों को कारोबार शुरू करने में मदद करेगा।
महाकुंभ में स्नान करने के बाद अपनी खुशी जाहिर करते हुए, उन्होंने कहा, "आज प्रयागराज के महाकुंभ में स्नान करके मुझे अपार खुशी मिली। मैं पूरे देश के मुस्लिम समुदाय से अनुरोध करता हूं कि वे सनातन धर्म को अपनाने पर विचार करें। हम एक संगठन बना रहे हैं, जिसके माध्यम से जो भी मुस्लिम परिवार सनातन धर्म में वापसी करेगा, उसे आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।"
पूर्व शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी, जो अब जितेंद्र नारायण त्यागी के नाम से जाने जाते हैं, ने महाकुंभ के अवसर पर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जो मुस्लिम सनातन धर्म अपनाएंगे, उन्हें तब तक ₹3,000 प्रति माह की आर्थिक सहायता दी जाएगी जब तक वे पूरी तरह से इस धर्म में स्थिर न हो जाएं। इसके साथ ही, जो लोग अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं, उन्हें छोटे व्यवसायों से जोड़ने में भी सहायता की जाएगी।
रिजवी ने अपने संबोधन में कहा, "आपको कट्टरपंथी मानसिकता से बाहर आना होगा। आपको जिहादी सोच से मुक्त होकर अपनी इच्छा से सनातन धर्म में वापसी करनी होगी। सनातन धर्म सबका स्वागत करता है।"
गौरतलब है कि वसीम रिजवी ने तीन साल पहले इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया था। तब से उनका नाम जितेंद्र नारायण त्यागी रखा गया। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरी ने विधिवत शुद्धिकरण कर उन्हें सनातन धर्म में शामिल किया था।
धर्म परिवर्तन के अपने फैसले पर बात करते हुए रिजवी ने कहा था, "जब इस्लाम ने मुझे निकाल ही दिया, तो यह मेरा अधिकार है कि मैं अपनी मर्जी से कोई भी धर्म स्वीकार करूं। मैंने सनातन धर्म को चुना क्योंकि यह सबसे प्राचीन और व्यापक धर्म है।"
उनकी इस घोषणा को लेकर समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला मान रहे हैं, तो कुछ इसके पीछे की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं।