सुप्रीम कोर्ट करेगा गुजरात के फर्जी मुठभेड़ों की याचिकाओं पर सुनवाई
By: Rajesh Bhagtani Wed, 13 Sept 2023 7:35:31
नई दिल्ली। गुजरात में 2002 से 2006 तक हुई फर्जी मुठभेड़ों की जांच के अनुरोध से जुड़ी दो अलग-अलग याचिकाओं पर अगले सप्ताह के बाद से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जाएगी। उच्चतम न्यायालय 2007 में वरिष्ठ पत्रकार बीजी वर्गीज, गीतकार जावेद अख्तर और शबनम हाशमी की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इन सभी ने फर्जी मुठभेड़ों की जांच का अनुरोध करते हुए याचिकाएं दायर की थीं। वर्गीज का 2014 में निधन हो गया था।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि एक पक्ष सुनवाई स्थगित करने को कह रहा है। मुकुल रोहतगी स्वास्थ्य कारणों से उपलब्ध नहीं हैं। वो कुछ प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि यह मामला काफी लंबे समय से लंबित है। लिहाजा टॉप कोर्ट जल्द से जल्द सुनवाई शुरू करे। बेंच ने कहा कि अगले सप्ताह के बाद से वो इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रहा है। जस्टिस बोले कि हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं।
जस्टिस एचए बेदी की रिपोर्ट का सार
जस्टिस एचएस बेदी समिति ने 2002 से 2006 तक गुजरात में फर्जी मुठभेड़ों के कई मामलों की जांच की थी। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस को 2002 से 2006 तक गुजरात में फर्जी मुठभेड़ के 17 मामलों की जांच करने वाली निगरानी समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। उन्होंने 2019 में एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी। समिति ने 17 मामलों में से तीन में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी।
समिति ने कुल नौ पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया
अपनी अंतिम रिपोर्ट में जस्टिस बेदी समिति ने कहा था कि तीन व्यक्ति समीर खान, कासम जाफर और हाजी इस्माइल प्रथम दृष्टया गुजरात पुलिस अधिकारियों की फर्जी मुठभेड़ों में मारे गए थे। इसमें इंस्पेक्टर रैंक के तीन अधिकारियों सहित कुल नौ पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया गया था। हालांकि इसमें किसी भी आईपीएस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश नहीं की गई थी।