कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार (21 फरवरी, 2025) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अडानी समूह विवाद पर अमेरिकी प्रेस को दिए गए बयान की आलोचना की। उन्होंने कहा, "यह कोई निजी मामला नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और पारदर्शिता से जुड़ा गंभीर मुद्दा है।"
रायबरेली के लालगंज में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के जवाब को "अस्वीकार्य" बताया और कहा कि अडानी विवाद सिर्फ एक बिजनेस डील नहीं, बल्कि भारत की छवि और आर्थिक नीतियों पर असर डालने वाला विषय है।
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा था?
दरअसल, पिछले सप्ताह वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से अडानी समूह पर अमेरिकी सरकार की ओर से लगाए गए रिश्वतखोरी के आरोपों पर सवाल किया गया था। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने जवाब दिया, "भारत एक लोकतांत्रिक देश है, और हमारी संस्कृति 'वसुधैव कुटुम्बकम' में विश्वास रखती है। जब दो वैश्विक नेता मिलते हैं, तो वे ऐसे व्यक्तिगत मुद्दों पर चर्चा नहीं करते।"
राहुल गांधी ने इस प्रतिक्रिया पर आपत्ति जताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से जुड़ा यह मामला केवल एक व्यक्ति या कंपनी का नहीं, बल्कि देश की आर्थिक नीतियों और वैश्विक छवि से संबंधित है। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस विषय पर स्पष्ट और पारदर्शी जवाब देने की मांग की।
गौतम अडानी पर क्या आरोप हैं?
अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने अडानी समूह पर आरोप लगाया था कि सौर ऊर्जा अनुबंधों के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (लगभग ₹2,100 करोड़) की रिश्वत दी गई। अभियोजन पक्ष के अनुसार, अडानी समूह ने अमेरिकी निवेशकों और बैंकों से इस सौदे की जानकारी छिपाई। अमेरिकी प्रतिभूति नियामक (SEC) ने भारत से इस मामले में सहयोग मांगा था। हालांकि, अडानी समूह ने इन आरोपों को "निराधार और बेबुनियाद" बताते हुए खारिज किया है।
डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें अमेरिकी न्याय विभाग को इस मामले की जांच से रोकने का निर्देश दिया गया। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से अडानी समूह को बड़ी राहत मिली, लेकिन इससे भारत-अमेरिका के राजनयिक संबंधों पर सवाल उठने लगे हैं।
राहुल गांधी का हमला और राजनीतिक प्रभाव
राहुल गांधी ने इस पूरे मामले को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "भ्रष्टाचार और पारदर्शिता से जुड़े मामलों पर प्रधानमंत्री को स्पष्ट जवाब देना चाहिए। यह मामला सिर्फ अडानी का नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक साख और अर्थव्यवस्था से जुड़ा मुद्दा है।" विशेषज्ञों का मानना है कि विपक्ष इस मुद्दे को आगामी चुनावों में मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा राजनीतिक हथियार बना सकता है। इस विवाद से देश की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है।