प्रसिद्ध गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने शनिवार को मुंबई में आयोजित शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत की किताब ‘हेवन इन हेल’ के विमोचन समारोह में भाग लिया और अपने बेबाक विचारों से सबका ध्यान खींचा। इस अवसर पर उन्होंने पाकिस्तान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, "अगर मुझे नरक और पाकिस्तान के बीच चयन करना पड़े, तो मैं बिना झिझक नरक जाना पसंद करूंगा, पाकिस्तान कभी नहीं जाऊंगा।"
उन्होंने आगे कहा, "ट्विटर और व्हाट्सएप पर मुझे दोनों ओर से गालियाँ पड़ती हैं—एक्सट्रीमिस्ट चाहे इस तरफ के हों या उस तरफ के, सभी मुझे बुरा-भला कहते हैं।" जावेद अख्तर ने बताया कि उनके ट्वीट्स पर बहुत सी आलोचनाएं होती हैं, लेकिन कुछ लोग समर्थन में भी खड़े होते हैं। उन्होंने कहा, "कोई मुझे काफिर कहता है तो कोई जिहादी, और कुछ तो मुझे पाकिस्तान जाने की सलाह देते हैं। लेकिन मुझे पाकिस्तान नहीं जाना, नरक भी मंजूर है।"
मुंबई के प्रति जताया आभार, सुरक्षा मिली थी 'मुल्लों' की धमकी के चलते
जावेद अख्तर ने अपनी जन्मभूमि मुंबई के प्रति गहरी कृतज्ञता जताते हुए कहा, "जो कुछ भी मैंने हासिल किया, वह मुंबई और महाराष्ट्र की वजह से है। मैं सात जन्मों में भी मुंबई का कर्ज नहीं चुका सकता।" उन्होंने खुलासा किया कि पिछले 30 वर्षों में चार बार उन्हें पुलिस सुरक्षा मिली, जिनमें से तीन बार 'मुल्लों' की धमकियों के कारण सुरक्षा दी गई थी। उस समय पुलिस कमिश्नर ए.एन. रॉय ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की थी।
संजय राउत की तुलना टी-20 खिलाड़ी से की
संजय राउत की प्रशंसा करते हुए जावेद अख्तर ने कहा, "संजय राउत टी-20 के खिलाड़ी हैं, जो क्रीज से बाहर निकलकर चौके-छक्के लगाते हैं। उन्हें आउट होने की चिंता नहीं होती। वे गेंद को सीधे स्टेडियम से बाहर मारते हैं।" उन्होंने यह भी साझा किया कि कैसे उनकी और संजय राउत की मुलाकात हुई और उनके संबंध प्रगाढ़ हुए।
लोकतंत्र में मीडिया और निष्पक्ष नागरिकों की आवश्यकता पर बल
जावेद अख्तर ने कहा कि हर लोकतंत्र को राजनीतिक दलों, चुनाव और ईमानदार मीडिया की आवश्यकता होती है। साथ ही, ऐसे नागरिकों की भी जरूरत होती है जो निष्पक्ष हों और जो सही लगे वही बोलें। उन्होंने कहा, "अगर आप सिर्फ एक दिशा में बोलते हैं तो आप केवल एक विचारधारा के लोगों को खुश कर पाएंगे। लेकिन अगर आप सच्चाई के पक्ष में बोलेंगे तो सबको पसंद आएगा।"
सरकार को जेल भेजने की बजाय सोचने का समय देना चाहिए
अख्तर ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा, "आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में नेताओं और लोगों को सोचने का वक्त नहीं मिलता। लेकिन जब सरकार उन्हें जेल भेजती है, तो उनके पास सोचने का मौका आ जाता है। इसलिए बेहतर होगा कि सरकार उन्हें जेल में न डाले, वरना वे किताबें लिख डालेंगे और वो किताबें क्रांति मचा देंगी।" उन्होंने हँसते हुए जोड़ा, "मैं ये नहीं कहूंगा कि संजय जी वापस जेल जाएं और एक और किताब लिखें।"