अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर बोले PM मोदी - दुनिया के 70% बाघों का घर है भारत, तय समय से 4 साल पहले दोगुनी हुई इनकी संख्या
By: Pinki Thu, 29 July 2021 8:02:21
आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों के संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की जानकारी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर कहा कि बाघों के संरक्षण के मामले में सेंट पीटर्सबर्ग घोषणापत्र में जो समय सीमा तय की गई है, उसे मद्देनजर रखते हुए भारत ने बाघों की तादाद दोगुनी करने का लक्ष्य चार साल पहले ही हासिल कर लिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर सभी वन्यजीव प्रेमियों को बधाई दी है, खासतौर से उन लोगों को जो बाघों के संरक्षण के लिए बहुत सचेत हैं। इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया में पाये जाने वाले 70% बाघों का घर है। उन्होंने कहा कि हम बाघों के अनुकूल पारिस्थितिकी (इको-सिस्टम) मुहैया कराने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।
On #InternationalTigerDay, greetings to wildlife lovers, especially those who are passionate about tiger conservation. Home to over 70% of the tiger population globally, we reiterate our commitment to ensuring safe habitats for our tigers and nurturing tiger-friendly eco-systems. pic.twitter.com/Fk3YZzxn07
— Narendra Modi (@narendramodi) July 29, 2021
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'अंतराष्ट्रीय बाघ दिवस पर, वन्यजीव प्रेमियों, विशेष रूप से बाघ संरक्षण के प्रति उत्साही लोगों को मेरी ओर से बधाई। विश्व स्तर पर बाघों की 70% से अधिक आबादी का घर भारत अपने बाघों के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने और बाघों के अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं।'
पीएम मोदी ने कहा, 'भारत में बाघों के 51 अभ्यारण्य हैं, जो 18 राज्यों में फैले हैं। बाघों की पिछली गणना 2018 में हुई थी, जिससे पता चला था कि बाघों की संख्या बढ़ रही है। बाघों के संरक्षण के मामले में सेंट पीटर्सबर्ग घोषणापत्र में जो समय सीमा तय की गई है, उसे मद्देनजर रखते हुये भारत ने बाघों की तादाद दुगनी करने का लक्ष्य 4 साल पहले ही हासिल कर लिया है।'
उन्होंने आगे कहा, 'बाघों के संरक्षण के सिलसिले में भारत की रणनीति में स्थानीय समुदायों को सबसे ज्यादा अहमियत दी जा रही है। हम अपनी सदियों पुरानी परंपरा का भी पालन कर रहे हैं, जो हमें सिखाती है कि हमें जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों के साथ समरसता के साथ रहना चाहिए, क्योंकि ये सब भी इस धरती पर हमारे साथ ही तो रहते हैं।'