नागौर से सांसद और आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने तीखा सवाल उठाया, "अगर मुझ पर हमला होता है तो इसकी ज़िम्मेदारी किसकी होगी? एक ओर सरकार जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर मेरे लाइसेंसी हथियार पिछले 11 वर्षों से थाने में जमा हैं।" उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में एक केस के चलते उन्होंने अपनी पिस्टल और बंदूक पुलिस थाने में जमा कराई थी। वर्ष 2017 में उस मामले में एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लग चुकी है, फिर भी उनके हथियार अब तक वापस नहीं किए गए हैं।
अब तक लाइसेंस बहाल नहीं हुआ है
बेनीवाल ने आगे बताया कि एफआर लगने के बाद उन्होंने तत्कालीन जिला कलेक्टर से हथियार का लाइसेंस बहाल करने की मांग की थी, लेकिन कलेक्टर ने असमर्थता जाहिर की। इसके बाद उन्होंने संभागीय आयुक्त के समक्ष अपील की, जिन्होंने करीब छह महीने पहले नागौर के कलेक्टर को लाइसेंस बहाल करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि बतौर सांसद उन्हें विशेषाधिकार के तहत लाइसेंसी हथियार और रेड पासपोर्ट मिलना चाहिए, लेकिन सरकार की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
इंटेलिजेंस इनपुट के बाद सुरक्षा में आंशिक बढ़ोतरी
इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) से मिले इनपुट के आधार पर नागौर एसपी ने बेनीवाल की सुरक्षा के लिए एक क्यूआरटी (त्वरित प्रतिक्रिया टीम) तैनात की थी। हालांकि, यह टीम केवल नागौर में उनके प्रवास के दौरान ही सुरक्षा देती है। जयपुर जैसे अन्य स्थानों पर उन्हें कोई सुरक्षा नहीं मिलती, जिससे नाराज होकर उन्होंने अपने दोनों पीएसओ (पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर) को लौटा दिया।
नागौर एसपी का निर्देश
नागौर एसपी नारायण टोगस ने आदेश जारी किया था कि सांसद के नागौर प्रवास के दौरान पुलिस लाइन से एक क्यूआरटी टीम को हथियारों सहित उनके निवास पर तैनात किया जाए। साथ ही, कंट्रोल रूम प्रभारी को पीएसओ के समन्वय से उनके आवागमन और कार्यक्रमों के लिए एस्कॉर्ट की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।