जयपुर। पिंकसिटी की ऐतिहासिक जलमहल झील की दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए जयपुर हेरिटेज नगर निगम को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि जल महल झील को नुकसान पहुंचा कर जयपुर कैसे स्मार्ट बन सकता है?
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने झील के पास नाइट मार्केट और वेंडिंग गतिविधियों पर नाराजगी जताते हुए इन पर रोक लगाई है। वहीं झील में सीवरेज सहित किसी भी गंदगी का प्रभाव रोकने और उसकी स्थिति सुधारने के लिए नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) से एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करवाने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जयपुर के हेरिटेज नगर निगम को कड़ी फटकार लगाते हुए जलमहल झील को नुकसान पहुंचाने और उसके पानी को दूषित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया। कोर्ट ने निगम की ओर से झील के पास नाइट मार्केट की अनुमति देने पर भी नाराजगी जताई। इस मामले की जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भूइयां की पीठ ने सुनवाई की। पीठ ने कहा कि हेरिटेज नगर निगम की लापरवाही और अवैध कार्यों के कारण जलमहल झील पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है।
स्मार्ट सिटी के दावे पर उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान पीठ ने नोट किया कि नगर निगम आयुक्त अरुण कुमार हसीजा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए, उनके पीछे 'स्मार्ट सिटी' का बोर्ड लगा हुआ था। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया, कि जलमहल जैसी झील को नुकसान पहुंचाकर जयपुर स्मार्ट सिटी कैसे बनेगा? कोर्ट ने ये भी कहा कि अब तक झील के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए किसी विशेषज्ञ समिति का गठन नहीं किया गया है।
झील में छोड़ा जा रहा गंदा पानी
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी पाया कि गंदे सीवेज का पानी जलमहल झील में छोड़ा जा रहा है। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने जयपुर हेरिटेज नगर निगम को निर्देश दिया कि झील के प्रदूषण को रोकने और उसके पुनरुद्धार के लिए नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) से एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करवाई जाए।
NGT के आदेश को चुनौती देने पहुंचा था निगम
हेरिटेज नगर निगम ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के 3 नवंबर 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में ये मामला दायर किया था। एनजीटी ने अपने आदेश में झील के पास रात्रि बाजार और अन्य गतिविधियों पर रोक लगाते हुए नगर निगम को पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र मॉनिटरिंग कमेटी से अनुमति लेने का निर्देश दिया था। एनजीटी ने ये आदेश आरटीआई कार्यकर्ता राजेंद्र तिवाड़ी की याचिका पर दिया था। जिसमें रात्रि बाजार और झील में बिना ट्रीटमेंट के दूषित जल छोड़े जाने को लेकर आपत्ति जताई गई थी। एनजीटी ने ये भी पाया था कि रात्रि बाजार नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र में आयोजित किया जा रहा था, जिसके लिए पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र मॉनिटरिंग कमेटी से अनुमति नहीं ली गई थी।
जलमहल संरक्षण के लिए उठाए जाएंगे कदम
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि जलमहल झील के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए अब ठोस कदम उठाए जाएंगे। अदालत ने ये साफ कर दिया है कि नगर निगम की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। और झील को बचाने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।