
जयपुर: हनुमानगढ़ के टिब्बी इलाके में इथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में भड़के किसान आंदोलन और उसके दौरान हुई हिंसा को लेकर प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार ने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया है। गुरुवार को सचिवालय में प्रेस वार्ता के दौरान खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा और संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने इस पूरे घटनाक्रम पर विस्तृत प्रतिक्रिया दी और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए।
मंत्रियों ने कहा कि यह आंदोलन जमीनी नहीं, बल्कि राजनीतिक उद्देश्य से तैयार किया गया ‘प्रायोजित विरोध प्रदर्शन’ था। उनके अनुसार, स्थानीय किसानों की तुलना में बाहरी असामाजिक तत्व अधिक संख्या में जुटाए गए, जिन्होंने जानबूझकर आंदोलन को हिंसक मोड़ दिया। दोनों मंत्रियों का दावा है कि प्रवासी राजस्थानी दिवस के दौरान राज्य की छवि खराब करने के मकसद से ही यह विवाद खड़ा किया गया, जिससे देश–विदेश से आए मेहमानों और निवेशकों के मन में नकारात्मक संदेश जाए।
"कांग्रेस की ही योजना थी फैक्ट्री, अब विरोध क्यों?" — गोदारा का आरोप
खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने स्पष्ट कहा कि इथेनॉल प्लांट की नींव कांग्रेस सरकार ने ही रखी थी।
उन्होंने याद दिलाया कि 2022 में कांग्रेस सरकार ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी, 2023 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी भी कराया गया और उस वक्त इसे किसानों के लिए फायदेमंद बताकर खुद कांग्रेस ने इसका प्रचार किया।
गोदारा के अनुसार, अब जब प्लांट लगभग तैयार है तो कांग्रेस उस फैसले से पलट रही है, जो दोहरे रवैये की साफ तस्वीर पेश करता है।
उन्होंने यह भी बताया कि आंदोलन के नाम पर करीब 1000 बाहरी लोगों को भीड़ में शामिल किया गया, जबकि असली किसान पूरी सच्चाई से अनजान हैं। मंत्री ने कहा कि इथेनॉल प्लांट से इलाके में रोजगार बढ़ेगा, धान की फसल का बेहतर दाम मिलेगा और पानी बचत तकनीक के जरिए नुकसान की आशंकाएं भी निराधार साबित होंगी। जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्लांट के चलते पानी बार-बार रिसाइकल होगा और पर्यावरण को कोई खतरा नहीं रहेगा। गोदारा ने चेतावनी देते हुए कहा कि हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय है।
"यह विरोध सिर्फ मंचित राजनीति है" — जोगाराम पटेल का तंज
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने भी कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी की नीति हमेशा उलझाने वाली रही है। पहले खुद फैक्ट्री को हरी झंडी देना और अब उस पर ही आंदोलन खड़ा करना कांग्रेस की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर बातचीत करने के लिए तैयार है, लेकिन कानून व्यवस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पटेल ने आंदोलन को ‘पूरी तरह प्रायोजित’ बताते हुए कहा कि इसके पीछे वास्तविक किसान हित नहीं, बल्कि राजनीतिक मंशा छिपी है।
मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार के दो वर्ष पूरे होने के समय को देखते हुए ही जानबूझकर इस विवाद को हवा दी गई है, ताकि सरकार की उपलब्धियों को धूमिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं किसान परिवार से आते हैं और खेती-किसानी की समस्याओं को प्रत्यक्ष रूप से समझते हैं, इसलिए किसानों के हितों के खिलाफ कोई कदम उठाया ही नहीं जा सकता। राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही कृषि क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं।














