भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान, विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के बैकड्रॉप में, बिहार का एक और बहादुर जवान शहीद हो गया। सीवान जिले के रहने वाले आर्मी जवान रामबाबू पाकिस्तान की गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। सोमवार को उनकी शहादत की खबर सुनकर उनके पैतृक गांव में शोक की लहर दौड़ गई। रामबाबू जम्मू-कश्मीर के भारत-पाक सीमा पर तैनात थे। उनका पार्थिव शरीर बुधवार को उनके पैतृक गांव, गौतम बुद्ध नगर थाना क्षेत्र के वसिलपुर में लाया जाएगा।
रामबाबू की 3 महीने पहले ही शादी हुई थी। एक नई जिंदगी की शुरुआत करने के बाद वे ड्यूटी पर लौट गए थे, लेकिन अब उनकी शहादत की खबर ने उनके परिवार और गांव वालों को गहरे शोक में डाल दिया। इससे पहले, सारण जिले के मोहम्मद इम्तियाज भी पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद हो गए थे। उन्हें सोमवार को उनके पैतृक गांव नारायणपुर में अंतिम संस्कार के लिए सुपुर्द-ए-खाक किया गया था।
शहीद रामबाबू के पिता, रामविचार सिंह का पहले ही देहांत हो चुका था। रामबाबू का देश सेवा का सपना बचपन से ही था। उनकी शहादत की खबर ने वसिलपुर गांव के लोगों को गहरे दुख में डाल दिया है।
रामबाबू की शादी फरवरी 2025 में हुई थी। शादी के कुछ दिन बाद ही वे अपनी ड्यूटी पर लौट गए थे। अब उनकी शहादत ने उनकी नवविवाहित पत्नी के दिल में आंसू तो बहाए हैं, लेकिन साथ ही उन्हें अपने पति की बहादुरी पर गर्व भी है।
शहीद रामबाबू का पार्थिव शरीर कल सीवान पहुंचेगा
शहीद के ससुरालवालों के अनुसार, रामबाबू का पार्थिव शरीर बुधवार दोपहर तक उनके गांव वसिलपुर पहुंच जाएगा। यहां उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। इस दौरान स्थानीय प्रशासन और सेना के अधिकारी भी शहीद के अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार में शामिल होंगे।
गांव के लोग कहते हैं कि शहीद रामबाबू के इस बलिदान पर उन्हें गर्व है, लेकिन उनका अचानक इस दुनिया से चले जाना गांववासियों के लिए असहनीय पीड़ा का कारण बन गया है। रामबाबू का नाम हमेशा गांववासियों के दिलों में जिंदा रहेगा।